शिमला। प्रदेश को जुगाड़ से चलाने की मुख्यमंत्री की स्वीकारोक्ति इस बात को स्पष्ट कर रही है कि प्रदेश आर्थिक कंगाली के दौर से गुजर रहा है। कांग्रेस सरकार के वित्तीय कुप्रबन्धन, भ्रष्टाचार व कुशासन ने प्रदेश को खोखला करके रख दिया है। यह बात पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने प्रैस विज्ञप्ति जारी करते हुए कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश के आर्थिक हालात खराब होने के लिए सरकार का आर्थिक कुप्रबन्धन जिम्मेदार है। सरकार के चार वर्षों के कार्यकाल के दौरान प्रदेश के आर्थिक संसाधन बढ़ाने के कोई प्रयास नहीं किए गए। इस दौरान प्रदेश की राजस्व आय में केवल 30 करोड़ रूपए की वृद्धि हुई है। जबकि पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान यह वृद्धि 4000 करोड़ रूपए से अधिक थी। इसके अतिरिक्त 45 से अधिक चेयरमैन और वाईस चैयरमैनों की फौज से प्रदेश पर अरबों रूपए का वित्तीय बोझ पड़ रहा है। प्रदेश में सरकारी खर्चों को घटाने वाली समिति की सिफारिशों का क्या हुआ, किसी को पता नहीं है। न नीति, न नियम, न नीयत के तहत चल रही प्रदेश सरकार का एक ही मूलमंत्र है कि अपनी नाकाबलियत पर पर्दा डालने के लिए केन्द्र सरकार पर दोष मढ़ दो। [# धुंध से परेशान हैं, हिमाचल की पहाडियों का रूख करें] [# अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
प्रो. धूमल ने कहा कि पूर्व की यूपी, सरकार की तुलना में वर्तमान मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान प्रदेश को मिलने वाली केन्द्रीय सहायता में तीन गुना वृद्धि हुई है। आधारभूत ढांचे के विकास, स्वास्थ्य व शिक्षा के लिए केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश को अभूतपूर्व आर्थिक सहायता दी गई है। इसके अतिरिक्त प्रदेश के विशेष राज्य के दर्जे की बहाली से सभी केन्द्रीय योजनाओं में 90 प्रतिशत सहायता अनुदान के रूप में व 10 प्रतिशत दीर्घकालीन खर्चे के रूप में मिलने से प्रदेश पर कोई आर्थिक दबाव नहीं रह गया है। ऐसे में जब प्रदेश की अपनी एक भी योजना नहीं है तो प्रदेश सरकार पर कोई वित्तीय बोझ नहीं है। बावजूद इसके केन्द्रीय धन के दुरूपयोग के चलते प्रदेश को कर्जों का सहारा लेना पड़ रहा है। कांग्रेस सरकार की कुनीतियों के चलते आज प्रदेश 40 हजार करोड़ से अधिक के कर्जे में डूबा हुआ है। केन्द्रीय धन को विकास कार्यों पर खर्च करने के बजाए कर्जों के ब्याज चुकाने में लगाया जा रहा है।
प्रो. धूमल ने कांग्रेस सरकार पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि जब प्रदेश को जुगाड़ के सहारे ही चलाया जा रहा है तो झूठी घोषणायें करके जनता को धोखे में क्यों रखा जा रहा है, बिना बजट के की जा रही इन घोषणाओं को पूरा करने के लिए धन कहां से आएगा, क्या यह जनता से धोखा नहीं है। प्रदेशभर में की जा रही इन झूठी घोषणाओं की धरातलीय सच्चाई यह है कि चार वर्ष पूर्व किए गए शिलान्यासों में कई जगह तो नींव के पत्थर भी नहीं रखे गए हैं और खोले गए संस्थानों में कहीं कर्मचारी नहीं है तो कहीं अधिकारी नहीं और कहीं आधारभूत ढांचा ही उपलब्ध नहीं है। झूठी घोषणाओं की दुर्गति कांग्रेस लोक सभा चुनावों के दौरान देख चुकी है और अब विधानसभा चुनावों में कांग्रेस इसकी कीमत चुकाएगी।
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