बीकानेर। वेटरनरी विश्वविद्यालय के पशु जैव विविधता संरक्षण केन्द्र द्वारा श्रीडूंगरगढ़ के लाछड़सर, भीचड़ी, सीमसीया और जनेऊ गांवों के 69 पशुपालकों का दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न हो गया। प्रशिक्षण के समापन अवसर पर विश्वविद्यालय के निदेशक अनुसंधान प्रो. राकेश राव एवं मुख्य अन्वेषक प्रो. एस.सी. गोस्वामी ने प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किए। प्रो. राव ने पशुपालकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि वेटरनरी विश्वविद्यालय पशुपालकों के उत्थान के लिए निरन्तर प्रयत्नशील है। समय-समय पर पशुपालक प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाते हैं। पशु जैव विविधता संरक्षण केन्द्र के मुख्य अन्वेषक प्रो. सुभाष चन्द्र गोस्वामी ने बताया कि पशु जैव विविधता संरक्षण एवं वर्तमान परिपेक्ष में पशु जैव विविधता के महत्व पर दो दिवसीय प्रशिक्षण में 6 विषय विशेषज्ञ वार्ताओं का आयोजन किया गया। इसमें डॉ. आर.के. बेरवाल, डॉ. विजय विश्नोई, डॉ. मोहन लाल चौधरी, डॉ. जे.पी. कच्छावा, डॉ. रजनी अरोड़ा और डॉ. अशोक खीचड़ ने जैव विविधता तकनीकी गोवंश, मुर्गीपालन, पशुपालन और पशु चिकित्सा के विभिन्न विषयों की जानकारी दी। पशुपालकों को उपयोगी साहित्य का वितरण भी किया गया। इस दौरान पशुपालकों ने कोडमदेसर पशुधन अनुसंधान केन्द्र, कुक्कुट शाला में जैव विविधता, सजीव म्यूजियम, हरे चारे उत्पादन की हाइड्रोपोनिक्स तकनीक, पशु उपचार के आधुनिक तकनीक एवं पद्धतियों का भी अवलोकन किया।
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