नई दिल्ली। ब्रिटेन स्थित अंतरराष्ट्रीय एनजीओ एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भारत
के देशद्रोह कानून की कडी आलोचना की है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भारत के
देशद्रोह कानून की कडी आलोचना की है। [# अजब-गजबः नमक के दाने पर पेंटिंग का रिकार्ड] [# अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
ब्रिटेन स्थित एनजीओ एमनेस्टी
इंटरनेशनल ने इस कानून को भारत सरकार द्वारा विरोध या सरकार की आचोलना
कुचलने की कोशिश करार दिया है।
एनजीओ की सालाना होने वाली मीटिंग में एक रिपोर्ट को पेश किया गया जिसमें
देशद्रोह कानून को लेकर भारत की केंद्र सरकार की आलोचना की गई। रिपोर्ट में
कहा गया है कि भारत में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को काफी
पेरशानियां और उससे भी बुरी स्थिति में कई तरह के हमलों का भी सामना करना
पडता है, जिससे उनकी जान हमेशा ही खतरे में बनी रहती है।
रिपोर्ट में यह भी
कहा गया है कि यह खतरा गैर-प्रशासनिक ताकतों और प्रशासनिक ताकतों, दोनों
से ही है।
रिपोर्ट ने भारत में कई एनजीओ और सिविल सोसाइटी ऑर्गेनाईजेशन्स पर की गई
कार्रवाई की भी आलोचना की। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि सिविल सोसायटीज को
दबाने के लिए सरकार एफसीआरए ऎक्ट में दखल दे रही है कि ताकी वह इनकी
फंडिंग को रोक सके। यह कोशिश सीधे तौर इन ग्रुप्स को कमजोर करने के लिए की
जा रही है।
संस्था ने गौ-रक्षा के नाम पर की जा रही गुंडागर्दी और हमलों को लेकर भी
चिंता जताई है। रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात, मध्यप्रदेश, हरयाणा और कर्नाटक
जैसे राज्यों में जाति के आधार पर और गौ-रक्षा के नाम पर की जाने वाली
हिंसा को लेकर चिंता जताई गई है।
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