अमरीष मनीष शुक्ला, इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक पुलिस सिपाही की बर्खास्तगी के मामले मे कड़ा रूख अख्तियार करते हुये उत्तर प्रदेश सरकार पर 50 हजार रुपये का जुर्माना ठोका है। सिपाही को पुलिस अधीक्षक के आदेश से बिना ही बर्खास्त किया गया था, जिसे गंभीरता से लेते हुये न्यायालय ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि बिना विभागीय जांच के ऐसी कार्रवाई पूरी तरह से गलत है। सरकार चाहे तो बर्खास्त करने वाले एसपी के वेतन से यह हर्जाना वसूल कर ले। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसी मामले में दाखिल की गई प्रदेश सरकार की विशेष अपील को भी खारिज कर दिया है।मालूम हो कि बलिया जिला में तैनात एक सिपाही कोर्ट तत्कालीन एसपी अमिताभ ठाकुर ने 13 सितंबर, 2007 को बर्खास्त कर दिया था। उस वक्त सिपाही पर गलत मार्कशीट लगाने कार आरोप था। बर्खास्त सिपाही ने एसपी के इस आदेश कोर्ट न्यायालय में चुनौती दी तो कोर्ट ने सुनवाई पूरी करते हुये कहा कि गलत मार्कशीट लगाने के आधार पर सिपाही बर्खास्तगी गलत है ।
यूपी पुलिस ऑफिसर अधीनस्थ रैक (दंड एवं अपील) नियमावली 1991 के नियम 8(2)(बी) के तहतऐसी बर्खास्तगी नहीं की जा सकती। अदालत ने आगे यह भी कहा कि इस प्रकार के आरोप की विभागीय जांच की जा सकती थी, परंतु बगैर जांच 8(2)(बी) के तहत बर्खास्तगी मनमानीपूर्ण व अवैध थी। इस आदेश के बाद प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट में विशेष अपील दाखिल की और एकल जज के इस आदेश को चुनौती दी। लेकिन हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की विशेष अपील खारिज करते हुये एकल जज के फैसले को सही माना। कोर्ट ने कहाकि गलत आदेश पारित करने वाले एसपी के वेतन से प्रदेश सरकार चाहे तो हर्जाने की राशि वसूल ले।
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