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भारतीय मुद्रा के इतिहास का एक अध्याय आगरा से भी जुड़ा

आगरा। मुगल शहंशाह अकबर की टकसाल में यहीं मुद्रा तैयार होती थी। इसमें सोने, चांदी व तांबे के सिक्कों की ढलाई होती थी।1556 में पानीपत के द्वितीययुद्ध में हेमू को हराने के बाद मुगल शहंशाह अकबर दिल्ली में रहा। आगरा की केंद्रीय स्थिति को देखते हुए 1558 में अकबर यहां आ गया। उसने बादलगढ़ के पुराने किले की जगह नया किला तैयार कराया। राजपूतों और सुदूर राज्यों पर नियंत्रण के लिए उसने वर्ष 1570 से 1585 तक आगरा-अजमेर मार्ग पर स्थित फतेहपुर सीकरी को राजधानी बनाया। यहां अकबर ने कई आलीशान महलों के साथ टकसाल भी बनवाई थी। यहां वर्तमान में जिस भवन में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का संग्रहालय है, वह मुगल काल में शाही खजाना था। इसके सामने मुगल टकसाल में सिक्कों की ढलाई होती थी। यह कारखाना के नाम से पहचानी जाती थी। यहां सिक्कों की ढलाई के बाद उन्हें खजाने में पहुंचा दिया जाता था, जिसकी देखरेख अकबर के प्रमुख दरबारी राजा टोडरमल पर थी। टोडरमल ने ही देश में जमीन की पैमाइश को पैमाने तय किए थे, जिन्हें व्यापक मान्यता मिली।
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