नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह उत्तराखंड के
बर्खास्त मुख्यमंत्री हरीश रावत की विधानसभा में शक्ति की जांच करने के लिए
सदन में शक्ति परीक्षण पर विचार करे। राज्य में विगत 27 मार्च से
राष्ट्रपति शासन लागू है।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली
सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने महान्यायवादी मुकुल रोहतगी से कहा कि अदालत की
निगरानी में सदन में शक्ति परीक्षण की संभावना पर वह सरकार से निर्देश लें
और इसके बारे में न्यायालय को सूचित करें।
शीर्ष अदालत ने कहा कि पहले भी एक अवसर पर इस पह़ाडी राज्य में शक्ति
परीक्षण के जरिए राजनीतिक गुत्थी सुलझाने के लिए कहा गया था।
शीर्ष अदालत में उत्तराखंड मामले की सुनवाई मंगलवार अपराह्न् दो बजे शुरू
होनी थी, लेकिन इसे बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह और
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की पीठ को करनी थी। लेकिन न्यायमूर्ति सिंह अब
शीर्ष अदालत की विशेष पीठ का हिस्सा हैं, जिसे मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश
के लिए एनईईटी को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह की सुनवाई करनी है।
उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन हटाने के नैनीताल उच्च न्यायालय के फैसले के
खिलाफ केंद्र सरकार की अपील की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने 27 अप्रैल
को पूछा था कि क्या राज्य में दो-तीन दिनों तक राष्ट्रपति शासन को स्थगित
कर सदन में शक्ति परीक्षण के जरिए सरकार की शक्ति की जांच की जा सकती हैक्
न्यायालय ने कहा था कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू रहते हुए भी सदन में
शक्ति परीक्षण हो जाएगा।
न्यायालय के सुझाव पर तब रोहतगी ने कहा था कि यह संभव नहीं होगा कि
राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए, फिर इसे दो-तीन दिनों के लिए स्थगित किया
जाए और बाद में पुन: इसे लागू कर दिया जाए।
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