जैसलमेर। कभी हुआ करते जुरासिक पाक, जी हां यह कोई काल्पनिक बात नहीं हैं ये बात साबित की है वैज्ञानिकों के एक दल ने इन वैज्ञानिकों की खोज में पता चला है कि 150 मिलियन साल पहले यहां डायनासोर बहुतायात में रहते थे। जैसलमेर में जुरासिक काल का अध्ययन करने आए भू.वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता हासिल हुई है। दल को जैसलमेर के थईयात गांव के पास अध्ययन के दौरान गैरालेटर प्रजाति के डायनासोर के फुट प्रिंट मिले है. साथ ही एक अन्य फुटप्रिंट भी मिला है जो यूबरान्टिस गीगान्टिअस प्रजाति के डायनासोर का है। जैसलमेर वैज्ञानिकों की खोज में यह सामने आ गया है कि जुरासिक काल में डायनासोर भारत में रहा करते थे।
जोधपुर के वैज्ञानिकों ने यह रहस्य सुलझा दिया है कि थार मरुस्थल की गोद में समाए जैसलमेर के थईयात गांव में 1 से 3 मीटर लंबे डायनोसार के पंजे के निशान मिले हैं। जहां डायनोसोर के अवशेष मिले हैं, यह स्थान कभी समुन्द्र रहा होगा या किसी बीच का हिस्सा रहा होगा।जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के भूगर्भशास्त्र व प्राणी विज्ञान विभाग के वैज्ञानिको की टीम जिसमें डॉ. विरेन्द्र सिंह परिहार, डॉ. सुरेश चन्द्र माथुर व डॉ. शंकरलाल नामा शामिल थे। कड़ी मेहनत के बाद डायनासोर की गुत्थी सुलझाते हुए उसके पैरो के निशाने खोज निकाले हैं जो कि 150 लाख साल पुराने हैं। मई माह में पुर्तगाल में आयोजित चौथी अंतरराष्ट्रीय इकोलोजिकल कांग्रेस में इस शोध पर वैज्ञानिकों ने मोहर लगा दी है।
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