इलाहाबाद। 10 साल पहले मर चुके अभियुक्त के विरुद्ध पुलिस मुकदमा चलाती रही। उसके विरुद्ध गिरफ्तारी का वारंट भी जारी कराती रही । लेकिन जब कोर्ट ने एसएसपी को पत्र लिखते हुए थानेदार को तलब किया तो हर कोई भौचक्का रह गया । क्योंकि अभियुक्त की तो वर्षो पहले मौत हो चुकी थी और पुलिस लापरवाही दर लापरवाही कर रही थी। इस रहस्योद्घाटन के बाद कोर्ट ने संबंधित मुकदमे को समाप्त तो कर दिया है। लेकिन एक बार फिर से पुलिसिया मुकदमों पर सवाल खड़े कर दिये हैं। गौरतलब है कि सिविल लाइंस थाने में 10 मई 1995 को कर्नल वाईसी चोपड़ा ने स्कूटर चोरी की एफआइआर दर्ज करायी थी। विवेचना के बाद पुलिस ने महेन्द्र कुमार उर्फ नाटे निवासी हाईकोर्ट पानी टंकी के विरुद्ध कोर्ट में आरोप पत्र पेश किया। आरोप पत्र पेश होने के बाद अदालत ने नाटे को सम्मन जारी किया। फिर समय समय पर वारंट और गैर जमानती वारंट भी जारी होते रहे। लेकिन नाटे कभी कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ। मामले की सुनवाई करते हुये सीजेएम रेशमा प्रवीण ने 11 जनवरी 2017 को एसएसपी को पत्र लिखा और इंस्पेक्टर सिविल लाइंस को तलब किया। कप्तान के दफ्तर में चिट्ठी पहुंचने के बाद संदेश प्रसारित हुआ तो महकमे में हड़कंप मच गया । आनन-फानन में दरोगा अरविंद सिंह मुकदमे में आरोपित अभियुक्त महेंद्र के घर पहुंचा तो उसके भी होश उड़ गए। पड़ोसियों ने बताया कि नाटे की करीब 10 साल पहले ही मौत हो चुकी है। यह जानकारी कप्तान व कोर्ट तक पहुंचाई गई । सच्चाई का पता चलने पर अदालत ने कई साल पुराने इस मुकदमे को समाप्त कर दिया। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब गैर जमानती वारंट का तामीला करने पर पुलिस इतनी बड़ी लापरवाही कर रही है तो अन्य मामलो में उसकी कार्यप्रणाली कैसी होती होगी। [@ UP ELECTION: आने वाले समय में अखिलेश की चुनौतियां] [@ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
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