अनुराग कश्यप की यह फिल्म रमन राघव पर न होकर उससे प्रेरित जरूर है। उन्होंने अपनी फिल्म में दो चरित्रों की एकरूपता को विभिन्न अंदाज में दिखाते हुए इसे रमन राघव 2.0 नाम दिया है। यह एक नहीं बल्कि दो व्यक्तियों की कथा है। सीन-दर-सीन जैसे फिल्म आगे बढती जाती है वैसे ही दर्शक सीट पर अपनी पकड मजबूत करते जाते हैं। उनके चेहरे पर खौफ के भाव नजर आने लगते हैं और यह खौफ धीरे-धीरे अपना असर दिखाने लगता है।
ये कहानी है मुंबई की एक मलिन बस्ती में रहने वाले रामन्ना (नवाजुद्दीन सिद्दिकी) की, जो बस यूं ही लोगों का खून कर देता है। उसकी अपनी कई परेशानियां हैं। वो बदसूरत दिखता है। उसके चेहरे पर एक बड़ा-सा गहरा चोट का निशान है, जिससे वह खूंखार और बदसूरत दिखाई देता है। कुछ छह-सात खून कर देने के बाद वह एक दिन अचानक खुद को पुलिस के हवाले कर देता है।
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