शबाना की प्रेम कहानी को दिखाने के चक्कर में गीत डाले गए हैं
जो फिल्म की गति में बाधा बनते हैं और दर्शकों को फिल्म से जोडने में असफल
रहते हैं। बेबी का क्लाइमैक्स बेहतरीन व दिलचस्प था जबकि नाम शबाना के
क्लाइमैक्स में यही कमी अखरती है। फिल्म का अंत सामान्य स्तर पर किया गया
है। जासूसी पर आधारित फिल्मों का अंत ऐसा होना चाहिए जो दर्शक को नजर हटाने
न दे। जहां पिछली फिल्म की यूएसपी पिछली फिल्म की स्पीड, दमदार स्क्रिप्ट
और अक्षय कुमार की बेहतरीन ऐक्टिंग थी तो वहीं इस फिल्म की इकलौती यूएसपी
तापसी पन्नू ही हैं। तापसी ने सहज अभिनय किया है और किरदार को बखूबी निभाया
है। अंत तक फिल्म तापसी पन्नू के कंधों पर टिकी है।
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