पिछले सप्ताह दमदार पिंक देखने के बाद इस सप्ताह पार्च्ड देखकर दिल
खुश हो गया। शहरी संस्कृति से इतर गांव की पृष्ठभूमि पर आधारित यह फिल्म
वहां ले जाती है जहां अब फिल्मों ने जाना बन्द कर दिया है। आधुनिकता की
बयार वहां भी बह रही है लेकिन औरतों के लिए कुछ नहीं बदला है। वही समाज है,
वही पुरुषवादी नजरिया है। तारीफ करेंगे निर्देशिका लीना यादव की जो हमें
‘पार्च्ड’ के जरिए उसी दुनिया में लेकर जाती है जहां औरतें अपने ढंग से
प्रतिकार करती हैं, मस्ती करती हैं और उनमें अपने ढंग से जीवन जीने की हसरत
कूट-कूटकर भरी हुई है। लीना यादव इससे पहले ‘शब्द’ (संजय दत्त, ऐश्वर्या
राय) और ‘तीन पत्ती’ (अमिताभ बच्चन, श्रद्धा कपूर) जैसी फिल्मों का
निर्देशन कर चुकी हैं।
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