विविध स्तरों पर गंभीर अध्ययन-मनन करने से यह बात ध्यान में आती है कि जनन शांति के चंगुल से सही-सलामत छूटने वाले बालकों की संख्या सिर्फ 8-10 प्रतिशत ही है। जो बालक इससे पार हो गए हैं, वे सभी अच्छा जीवन जी रहे हैं- यह बात भी नहीं है। उनके हिस्से में भी संकट और कष्ट आते हैं। इसका कारण पाप ग्रह होते है। लेकिन शास्त्रोक्त विधि द्वारा शांति करवाने के बाद भी बालक को शांति का फल नहीं मिलता। ग्रहस्थिति उत्कृष्ट होने तथा शांति दोष होने पर भी जीवन क्रम बिगडा रहता है।
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