चंद्र : यदि आप की कुंडली में चंद्र नीच का होकर वृश्चिक राशि में है या
राहु-केतु और शनि द्वारा प्रभावित है तो, रोहिणी नक्षत्र वाले दिन खिरनी की
जड़, शुद्ध करके शिवजी को समर्पित करें और ऊँ श्रां श्रीं श्रौं
स:चंद्रमसे नम: मंत्र का जाप कर के सफेद धागे में धारण करें. फेफड़े
सम्बंधित रोग, एकाकीपन और भावनात्मक समस्याओं का समाधान होगा।
मंगल:
आपकी कुंडली में मंगल नीच का होकर कर्क राशि में हो या आप मांगलिक हों तो
मृगशिरा नक्षत्र वाले दिन अनंतमूल अथवा खेर की जड़ की जड़ शुद्धिकरण के
पश्चात हनुमान जी की पूजा करके ऊँ अं अंगारकाय नम: मंत्र का जाप कर के
नारंगी धागे से धारण करें। क्रोध, अवसाद और वैवाहिक बाधा से मुक्ति मिलेगी।
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