रिपोर्ट के मुताबिक गांवों में समाज से बाहर निकाले गए लोग
मंदाकिनी कुंड में डुबकी लगाने के साथ पाप मुक्ति का प्रमाणपत्र हासिल करते
हैं। मंदिर के पुजारी नंद किशोर शर्मा का कहना है कि गौतमेश्वर मंदिर को
इस इलाके में हरिद्वार की तरह माना जाता है। सदियों पुराना ये मंदिर जनजाति
समुदाय में आस्था के महत्वपूर्ण केंद्र के तौर पर मशहूर है।
ये है लोककथा---
पुजारी
के मुताबिक हाल के दिनों में मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा
हुआ है। लेकिन पाप मुक्ति प्रमाण हासिल करने वालों की संख्या में कमी आयी
है। लोककथाओं के मुताबिक गौतम ऋषि को एक जानवर को मारे जाने के मामले में
श्राप मिला था। उन्होंने कुंड में डुबकी लगायी और खुद को पापमुक्त कर लिया।
इसके साथ ही इस परंपरा की शुरुआत हुई।
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