बस इसके बाद तो इस क्लास की प्राची, मोनिका, मनु, ईशा, पूजा, वंदना व प्रिया ने इसे अपना जनून बना लिया। ये लड़कियां सुबह शाम दोनों हाथों से लिखने की प्रेक्टिस करने लगी। खाली पीरियड में भी मौका मिलता तो ये अपनी प्रेक्टिस शुरू कर देती। धीरे धीरे ये लड़कियां दोनों हाथों से लिखने लगी। लिखने की स्पीड़ भी बनने लगी और लिखावट में भी सुधार आने लगा। अब तो ये लडकियां दोनोें हाथों से एक साथ हिन्दी, इंग्लिश, संस्कृत और यहां तक कि पंजाबी भी फर्राटेदार लिख लेती है। ये लडकियां गरीब परिवारों से संबंध रखती है। इनके परिवार के सदस्य छोटी मोटी खेती करते है। इन्हें बड़ी खुशी है कि इनकी बेटियां इस मुकाम तक पहुंची। लड़कियों के परिजनों का कहना है कि उन्हें बड़ी खुशी है कि उनकी बेटियां तरक्की की ओर अग्रसर है। वे चाहती है कि उनकी बेटी साक्षी मलिक की तरह नाम कमाएं और उनका नाम गिनीज बुक आफ रिकार्ड में दर्ज हो।
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