इंदौर में करोड़ों का बिजनेस,शानदार फ्लैट, डिग्रियां होने के बावजूद पति-पत्नी की हालत मजदूरों से भी गई गुजरी थी। न घर में लाइट, न टीवी, न फ्रिज और न ही इनके बच्चे कभी स्कूल की चौखट चढ़े। चारों तरफ सन्नाटा, शक और डर का माहौल। ये स्नेहलतागंज में रहने वाले बडज़ात्या परिवार के घर के हालात थे। फॉली ए फैमिली और शेयर्ड सायकोसिस नाम की मनोवैज्ञानिक बीमारी से पीडि़त परिवार 10 साल बाद अब घर से बाहर निकला है और एक बार फिर सामान्य जिंदगी जीने की कोशिश कर रहा है। दरअसल इस बीमारी की पीड़ा झेल रही बडज़ात्या परिवार एक मनोचिकित्सक की मदद से सभी को ठीक करने की कोशिश में जुटी हैं। इनका मार्बल्स का काफी बड़ा कारोबार है। बेटे की शादी के बाद सबकुछ सामान्य चल रहा था, लेकिन दस साल पहले उसके स्वभाव में बदलाव दिखने लगा। गुस्सा, शक, चिड़चिड़ापन और कामकाज पर ध्यान नहीं देना सहनशक्ति के बाहर हो गया। मनोचिकित्सक ने बताया कि जब मरीज से बीमारी दूसरे में चली जाती है तो उसे शेयर्ड सायकोसिस कहते हैं। यह रेयरेस्ट बीमारी है। पति के साथ-साथ पत्नी और बच्चे भी इसके शिकार हो गए। सही समय पर ट्रीटमेंट जरूरी है, वरना समय पर ट्रीटमेंट नहीं मिलने से बर्बाद हो जाते हैं लोग परिवार बर्बाद हो जाता। पति पर ट्रीटमेंट शुरू किया गया है। उसमें काफी परिवर्तन नजर आ रहा। वह परिवार के साथ धीरे-धीरे बाहर निकलने लगा है।
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