इस मंदिर के पुजारी परिवार रोजा भी रखते हंै और मां की उपासना भी करते हैं। हालांकि पुजारी बनने वाला व्यक्ति तब तक ही नमाज पढ़ता है, जब तक कि वह पुजारी नहीं बन जाता। हालांकि उसे इस बात की इजाजत होती है कि मां की उपासना और नमाज दोनों एक साथ कर सकता है। गांव वाले बताते हंै कि हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक जमालुद्दीन नवरात्र के समय घर आकर हवन और अनुष्ठान करवाते हंै। जमालुद्दीन बताते हैं कि ये मां का आदेश है। नवरात्र के नौ दिनों तक वो मंदिर में रहकर उपवास करते हैं और माता रानी की सेवा करते हंै।
600 वर्ष पुराना है इतिहास
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