देवमाली गांव आज भी किसी मध्ययुगीन गांव जैसा ही दिखता है। इस गांव के लोग
आर्थिक रूप से सक्षम होते हुए भी अभी तक कच्चे घरों में ही रहते हैं तथा
कोई भी लोहे और सीमेंट इत्यादि से बना पक्का मकान यहां नहीं है। इसकी वजह
गांव वालों के पास पैसों की कमी नहीं, बल्कि एक मान्यता है। गांव वाले
मानते हैं कि यदि गांव में एक भी पक्का घर बना तो कोई बड़ी आपदा आ सकती है।
इस
गांव के लोग कभी भी नीम की लकडिय़ां व केरोसिन नहीं जलाते, इसके चलते अब भी
यहां हर घर की रसोई में मिट्टी के चूल्हे का ही इस्तेमाल होता है। गांव के
अधिकतर घरों में बिजली कनेक्शन तो हैं, पर किसी भी घर में एसी और कूलर का
उपयोग नहीं होता है।
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