आप कह सकते हैं कि जिद, जोश और जज्बे का नाम साक्षी मलिक है। रियो ओलंपिक में जब एक के बाद एक खिलाड़ी हार रहे थे और भारत पदक की आस लगभग छोड़ चुका था। तब कुश्ती में हरियाणा की महिला पहलवान साक्षी ने ही देश को पहला कांस्य पदक दिलवा कर सम्मान बढ़ाया। साक्षी ने अंतिम क्षणों में जीत दर्ज कर देश के लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाने का काम किया। दीपा मलिक ने भी कोई कम इतिहास नहीं रचा। रियो पैराओलंपिक में गोला फेंक स्पर्धा में सिल्वर मेडल जीतकर देश के लोगों को एक बार फिर मुस्कराने का मौका दे दिया। पैराओलंपिक में पदक जीतने के साथ ही उन्होंने ऐसी पहली भारतीय महिला होने का गौरव भी हासिल कर लिया। पुरुष-महिला अनुपात में तेजी से बढ़ रहे अंतर को देखते हुए ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान को गति देने में लगी मनोहर सरकार ने भी देश-विदेश में हरियाणा की इज्जत बढ़ाने वाली इन बेटियों के सम्मान में कोई कोर-कसर नहीं रखीं। इनाम के तौर पर इन्हें करोड़ों रुपए की राशि दी गई। तो किसी परिवार में तीसरी बेटी जन्म के जन्म लेने पर उसे भी लाडली योजना के तहत सभी लाभ दिए जाने का ऐलान कर दिया।
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