वॉशिंगटन। अमेरिका की केंद्रीय खुफिया एजेंसी (सीआईए) के निदेशक माइक पोंपियो ने कहा कि उन्हें इस बात की चिंता है कि उत्तर कोरिया के पास ऐसी परमाणु मिसाइल हैं, जिससे वह एक महीने के अंदर अमेरिका पर परमाणु हमला कर सकता है। सीआईए के निदेशक माइक पोंपियो ने एक इंटरव्यू में कहा कि उनकी खुफिया एजेंसी लगातार प्योंगयांग और उसके नेता किम जोंग-उन से संभावित खतरों पर चर्चा करती है। माइक पोंपियो ने कहा हम उनकी एक महीने के अंदर अमेरिका पर परमाणु हथियारों से हमला करने की क्षमता के बारे में चर्चा करते हैं। हमारा काम अमेरिका के राष्ट्रपति तक इस बारे में खुफिया जानकारी पहुंचाना है ताकि उनके पास इस जोखिम को गैर-कूटनीतिक तरीके से कम करने के विकल्प हों। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
माइक पोंपियो यह भी माना कि उत्तर कोरिया पर दबाव डालने के नतीजे के तौर पर इस क्षेत्र में जीवन को भयंकर नुकसान हो सकता है, जहां अमेरिका के दो अहम सहयोगी देश जापान और दक्षिण कोरिया भी हैं। पॉम्पिओ ने कहा कि अगर किम को हटाने की कोशिश हुई या फिर अमेरिका पर परमाणु हमले की उसकी क्षमता को सीमित करने की कोशिश की गई तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के पहले ही साल में प्योंगयांग के साथ तनाव को बढ़ाया है। इसमें दोनों देशों के नेताओं के एक-दूसरे पर निजी हमले भी शामिल हैं। ट्रंप ने वादा किया था कि अगर उत्तर कोरिया अपने परमाणु कार्यक्रम पर लगाम नहीं लगाता है तो उसके इसके परिणाम भुगतने होंगे। इसके अलावा किम ने भी डोनाल्ड ट्रंप के लिए दुष्ट जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था। माइक पोंपियो ने कहा कि उत्तर कोरिया के लिए राष्ट्रपति ट्रंप जिस भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं वह प्योंगयांग सुन रहा है।
रूस के निशाने पर अमेरिका के मध्यावधि चुनाव
सीआईए के निदेशक का अनुमान है कि रूस इस साल के अंत में होने जा रहे अमेरिका के मध्यावधि चुनावों को निशाना सकता है। सीआईए प्रमुख माइक पोंपियो ने कहा कि यूरोप और अमेरिका की सरकारों को अस्थिर करने के रूस के प्रयासों में कमी नहीं आई है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी का कहना है कि उन्हें विश्वास है कि रूस ने 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप किया था। पोंपियो का कहना है कि उनका मिशन सीआईए से बोझ कम करना है, जिसके खुफिया आकलन सिर्फ सैन्य गतिविधियों के लिए ही बल्कि राजनीतिक विवादों का भी आधार हो सकते हैं।
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