उन्होंने कहा, ‘‘हम शांति और विकास को विभाजित नहीं कर सकते। उन्होंने कहा,
‘‘ऐतिहासिक रूप से, म्यांमार में ‘विकास के लिए अवसर’ की कमी थी, जबकि
हमारे पड़ोसियों का विकास हुआ।’’ सू की ने कहा ‘‘लेकिन पीछे छूटने का भी
फायदा है। हम पहले से ही विकसित देशों अनुभव ले सकते हैं। लेकिन सू की ने
कहा कि वह इस व्यापक धारणा से असहमत हैं कि ‘शांति से भी ज्यादा जरूरी
विकास है। ये भी पढ़ें - अजब गजबः यहां शिवलिंग पर हर साल गिरती है बिजली
सू की ने कहा, अगर हमारे पास शांति नहीं है, तो विकास
टिकाऊं नहीं होगा। साथ ही, अगर कोई विकास नहीं है, तो हम शांति भी नहीं पा
सकते हैं, इसलिए हमें दोनों के लिए प्रयास करना है। उन्होंने सशस्त्र
विद्रोही समूहों विशेषकर उत्तरी म्यांमार में चीन की सीमा के पास के
विद्रोही समूहों के साथ चल रहे शांति प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा, यही
कारण है कि म्यांमार की सरकार देश में पहले गृहयुद्ध को रोकने की कोशिश कर
रही है।
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