बर्लिन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल की संयुक्त अध्यक्षता में मंगलवार को यहां चौथे चरण के द्विवार्षिक अंतर-सरकारी विमर्श (आईजीसी) के बाद जर्मनी ने पुन: पुष्टि की कि वह परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) सहित अंतर्राष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था में भारत की सदस्यता का समर्थन करता है। बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान के मुताबिक, दोनों नेताओं ने वैश्विक (परमाणु) अप्रसार प्रयासों को मजबूत करने के प्रति प्रतिबद्धता जताई। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
बयान में कहा गया, जर्मनी मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था में भारत की सदस्यता का स्वागत करता है। संयुक्त बयान के मुताबिक, जर्मनी अन्य निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं, एनएसजी, ऑस्ट्रेलिया ग्रुप तथा वासेनार व्यवस्था, का हिस्सेदार बनने के भारत के प्रयासों का स्वागत करता है और भारत के जल्द ही इन व्यवस्थाओं का सदस्य बनने का समर्थन करता है।
सियोल में बीते साल जून महीने में चीन ने भारत के एनएसजी सदस्य बनने की राह में तकनीकी अडं़गा लगा दिया था। उसका कहना था कि इसके लिए भारत को परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर करना होगा। इस साल फिर चीन ने अपने रुख पर अटल रहने के संकेत दिए हैं।
बयान के मुताबिक, मोदी तथा मर्केल ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के व्यापक सुधार की आपात जरूरत की पुन: पुष्टि की। बयान में कहा गया, दोनों देशों ने सुधार व विस्तार के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक दूसरे की सदस्यता का पूर्ण समर्थन किया।
PM मोदी बोले,जर्मन कंपनियां हुई मेक इन इंडिया की ओर आकर्षित...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि भारत में कारोबार करने
वाली जर्मनी के लघु एवं मध्यम उद्योगों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से
शुरू किए गए मेक इन इंडिया मिटलस्टैंड (एमआईआईएम) अभियान ने जर्मनी को
काफी आकर्षित किया है और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में मजबूती
आई है।
जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल के साथ भारत-जर्मन व्यापार सम्मेलन में
हिस्सा लेते हुए मोदी ने कहा, जर्मनी ने मेक इन इंडिया अभियान में बडा
योगदान दिया है। जर्मन कंपनियों को भारतीय बाजार में निवेश करने के लिए
आकर्षित करने के उद्देश्य से सितंबर, 2015 में शुरू किया गया रणनीतिक
कार्यक्रम एमआईआई मिटलस्टैंड बेहद सफल साबित हुआ है।
मोदी ने कहा, जर्मनी की 83 से अधिक कंपनियों ने इस कार्यRम से जु़डने की
इच्छा जताई है। इनमें 73 कंपनियां कार्यक्रम का हिस्सा बन चुकी हैं, जबकि
47 कंपनियां निवेश करने के प्रारंभिक दौर में हैं।
मोदी ने कहा कि
इंडो-जर्मन मैनेजर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत जर्मन कंपनियों ने भारतीय
बाजार में अपना निवेश बढ़ाया है और भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारियां की
हैं।
मोदी ने कहा, इस कार्यक्रम से भारत के 500 से अधिक प्रबंधक लाभान्वित हुए
हैं। जर्मनी को वैश्विक स्तर पर भारत का सबसे अहम साझेदार बताते हुए मोदी
ने भारत में कारोबार करने वाली जर्मनी की बडी कंपनियों के उदाहरण दिए।
गौरतलब है कि जर्मनी, भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश करने वाला सातवां
सबसे बडा देश है।
मोदी ने कहा, बोस, सीमेंस, बीएएसएफ..इन्होंने भारत में विशेष अनुसंधान एवं
विकास संस्थान शुरू किए हैं। मर्सिडीज बेंज ने पुणे के चाकन में अपना दूसरा
कारखान शुरू किया है, जिससे अब मर्सिडीज भारत में दोगुना (20000 वाहन
प्रति वर्ष) उत्पादन करेगी।
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