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जब अंग्रेजी दवा नहीं करेगी काम, तब यहां मिलेगा आराम

When English medicine will not work, then here you will get rest - Jodhpur News in Hindi

जोधपुर। वो दिन दूर नहीं जब एलोपैथी की दवा का असर ही नहीं होगा, तात्पर्य यह है कि कमजोर शारीरिक क्षमता के आगे अंग्रेजी दवा भी कमजोर पड़ जाएगी। वैज्ञानिक मंथन के बाद यह बात उजागर हुई है और इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने तो कह भी दिया है कि भारत में पारंपरिक दवाओं की क्षमता कमाल की है और भविष्य में वे बहुत कारगर साबित होंगी और अब जोधपुर में सर्वपल्ली राधाकृष्ण आयुर्वेद विश्वविद्यालय इसके लिए तैयारियां कर रहा है।

सुपरबग से लडऩे की तैयारी
करवड़ में बना आयुर्वेद विश्वविद्यालय उस समय की तैयारी में जुटा हुआ है, जब दुनिया में एलोपैथी चिकित्सा पद्धति बीमारियों के आगे कम काम करेगी, तब हमारी चिकित्सा पद्धति रोगों को अपनी क्षमता से हरा देगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के निष्कर्ष के बाद भारत में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए जोधपुर में पंचकर्म चिकित्सा की विशेष इकाई शुरू की गई है, जहां गंभीर बीमारियों का इलाज किया जाएगा।

विशेषज्ञों की मानें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन की चेतावनी के बाद देशभर में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के पारंपरिक तरीकों पर शोध भी किया जा रहा है, ताकि हमारी चिकित्सा इकाई दुनिया को रोग प्रतिरोधक क्षमता में रोगों से मुक्ति दिला सके। करवड़ स्थित आयुर्वेद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉक्टर पीपी व्यास के अनुसार आने वाले समय में आयुर्वेद चिकित्सा ही सबसे श्रेष्ठ और उत्तम इलाज देगी। व्यास कहते हैं कि इन दिनों अमेरिका में बैठे मरीज सीधे यहां संपर्क करते हैं और उन्हें हेल्दी इलाज भी दिया जा रहा है। इतना ही नहीं आयुर्वेद से उन गंभीर बीमारियों को भी ठीक किया जा रहा है, जिनका एलोपैथी में कोई इलाज ही नहीं है।

आयुर्वेद विश्वविधालय में हाल ही पंचकर्म इकाई शुरू की गई है और विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर राधेश्याम शर्मा बताते हैं कि हमारा प्रयास है कि हम लोगों को बेहतरीन इलाज दे सकें। शर्मा के अनुसार आने वाले समय में जोधपुर आयुर्वेद चिकित्सा के लिए भी जाना जाएगा। यहां शुरू की गई पंचकर्म इकाई के बारे में उनका कहना है कि पंचकर्म आयुर्वेद की उत्कृष्ट चिकित्सा विधि है और इस विधि से शरीर में होने वाले रोगों और रोग के कारणों को दूर करने के लिए और तीनों दोषों (अर्थात त्रिदोष) वात, पित्त, कफ के असम रूप को समरूप में पुन: स्थापित करने के लिए विभिन्न प्रकार की प्रक्रियाएं प्रयोग मे लाई जाती हैं। शर्मा का प्रयास है कि आने वाले समय में जोधपुर में पंचकर्म पद्धति को टूरिज्म से भी जोड़ा जाएगा, ताकि लोगों का जोधपुर की तरफ रुझान बढ़े।

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