रुपनगर। हमारी ये स्टोरी उन बच्चों पर आधारित है। जो अपनी मजबूरी के चलते पेट की आग बुझाने के लिए कचरे के ढेर में अपना बचपन बिता रहे हैं। हालांकि सरकार की ओर से राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत हर बच्चे के लिए शिक्षा को जरूरी बनाया है। लेकिन इन बच्चों की मजबूरी देखकर सवाल खड़ा होता है कि आखिर शिक्षा के साथ इनका पेट किस तरह भर पाएगा। क्योंकि रोजी रोटी के जुगाड़ के लिए जिन परिवारों के बच्चे कचरे के ढेर में जिंदगी बिता रहे हैं। उनके लिए पेट भरना ही प्राथमिकता है।
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