नई दिल्ली। सीबीआई की विशेष कोर्ट ने शुक्रवार को विवादास्पद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को अपनी दो महिला शिष्यों के यौन उत्पीडऩ व दुष्कर्म के मामले में दोषी ठहराया। सीबीआई अदालत के न्यायाधीश जगदीप सिंह द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद डेरा प्रमुख को हिरासत में लिया गया। कोर्ट अब 28 अगस्त, सोमवार को राम रहीम को सजा सुनाएगी। लेकिन, क्या आपको पता है कि 1990 में डेरा सच्चा सौदा की गद्दी संभालने वाले राजस्थान के गंगानगर में जन्मे गुरमीत राम रहीम सिंह क्यों शिकंजे में आ गए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
बाबा राम रहीम के खिलाफ केस एक गुमनाम चिट्ठी के सामने आने के बाद शुरू हुआ था। उस चिट्ठी के सामने आने के बाद जांच के आदेश हुए थे। यह चिट्ठी 13 मई 2002 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को लिखी गई थी। इस खत में एक लडक़ी ने सिरसा डेरा सच्चा सौदा में गुरु राम रहीम के हाथों अपने यौन शोषण का वाकया बताया था। आश्रम की साध्वी ने 2002 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को गुमनाम लेटर भेजा था। इसमें साध्वी ने लिखा कि वह पंजाब की रहने वाली है और सिरसा के डेरा सच्चा सौदा में 5 साल से रह रही है। डेरे में साध्वियों का यौन शोषण किया जा रहा है। लेटर में बठिंडा कुरुक्षेत्र की कुछ साध्वियों के यौन शोषण किए जाने की बात भी लिखी थी।
साध्वी ने इंसाफ की गुहार लगाई थी और यह भी कहा था कि मैं अपना नाम-पता लिखूंगी तो मुझे मार दिया जाएगा। इसकी किसी एजेंसी के माध्यम से जांच कराई जाए। हमारा डॉक्टरी मुआयना करवाना चाहिए, ताकि घरवालों को पता चले कि यहां क्या चल रहा है। साध्वी के लेटर में लिखी बातों का कुछ हिस्सा बेहद आपत्तिजनक था। इस गुमनाम लेटर के बाद ही बवाल शुरू हुआ। इसके बाद डेरा चीफ के खिलाफ एक के बाद एक कई विवाद सामने आए। रणजीत सिंह हत्याकांड और फिर पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड। तीनों मामले में डेरा प्रमुख आरोपी हैं।
राम रहीम सिंह के खिलाफ दुष्कर्म मामले में कब क्या हुआ
2002 : गुरमीत राम रहीम सिंह के दो महिला शिष्याओं ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एवं पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को गुमनाम पत्र लिखकर बाबा राम रहीम पर दुष्कर्म का आरोप लगाया।
जुलाई, 2002 : पूर्व डेरा प्रबंधक रणजीत सिंह की जुलाई, 2002 में रहस्यमय तरीके से हत्या कर दी गई। सिंह की हत्या डेरा के कार्यकर्ताओं द्वारा की गई, क्योंकि वह संप्रदाय के मुख्यालय में चल रही सारी गतिविधियों के बारे में जानते थे।
अक्टूबर, 2002 : सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की डेरा के कार्यकर्ताओं द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई। उन्होंने अपने स्थानीय अखबार पूरा सच में सिरसा के पास स्थित डेरा के मुख्यालय में चल रही संदेहपूर्ण गतिविधियों के बारे में लिखा था।
नवंबर, 2003 : डेरा प्रमुख द्वारा साध्वियों के साथ किए गए दुष्कर्म के मामले में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने सीबीआई को जांच के आदेश दिए।
दिसंबर, 2003 : डेरा प्रमुख के खिलाफ सीबीआई ने जांच शुरू की।
जुलाई, 2007 : दुष्कर्म मामले में डेरा प्रमुख के खिलाफ सीबीआई ने आरोप-पत्र दाखिल किया।
2007-17 : दुष्कर्म मामले में 10 साल के दौरान करीब 200 बार सुनवाई हुई। निचली अदालत (पहले अंबाला और हरियाणा में स्थित) द्वारा दी गई जमानत पर डेरा प्रमुख जेल से बाहर रहे। डेरा प्रमुख ने उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की, जिस कारण ट्रायल कोर्ट (विशेष सीबीआई अदालत) में चल रही सुनवाई में देरी हुई।
अगस्त, 2017 : ट्रायल कोर्ट में मामले की सुनवाई समाप्त हुई। कोर्ट ने दुष्कर्म मामले में 25 अगस्त को फैसले सुनाने का ऐलान किया और इस मौके पर गुरमीत राम रहीम सिंह को अदालत में हाजिर रहने को कहा गया।
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