नई दिल्ली। रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को दावा किया कश्मीर घाटी से अब आतंकवादी जान बचाकर भाग रहे हैं और पत्थरबाजों की संख्या भी हजारों-सैकड़ों से घटकर बीस से तीस रह गई है। हालांकि, इस दौरान रक्षा मंत्री सिक्किम के डोकलाम क्षेत्र में भारत और चीनी सेना के बीच जारी तनाव पर कुछ भी बोलने से बचते नजर आएं। जेटली ने सिर्फ इतना ही कहा कि हमें अपनी सेना पर पूरा भरोसा है। जेटली ने रविवार को एक कार्यक्रम के दौरान कश्मीर के हालात पर कई बातों का जिक्र किया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का लक्ष्य कश्मीर से आतंकवादियों का सफाया करना है। टेरर फंडिंग के मामले में एनआईए ने जो कार्रवाई की है, उससे काफी कामयाबी मिली है और आतंकवादियों पर दबाव बढ़ा है। नोटबंदी का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि नोटबंदी के बाद से आतंकियों के हौंसले पस्त हुए हैं और उनके पास पैसा पहुंचने पर काफी हद तक रोक लगाई जा सकी है। रक्षा मंत्री ने कहा, इससे पहले, मुठभेड़ के दौरान सैकड़ों या हजारों की तादाद में पत्थरबाज इकट्ठे होकर आतंकवादियों को भागने में मदद करते थे। आज उनकी संख्या घटकर 20,30 या 50 रह गई है।
आज कोई बड़ा आतंकवादी यह सपना नहीं देख सकता कि वो आतंकी गतिविधियों को अंजाम देकर घाटी को दशकों तक आतंक के साये में रख सके, क्योंकि आज उनकी जिंदगी घटकर कुछ महीनों की रह गई है। मैं विशेष तौर पर जम्मू-कश्मीर पुलिस की आतंकवादियों के खात्मे के लिए किए गए प्रयास की तारीफ करूंगा।
रक्षा मंत्री ने दावा किया, आज नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा पर भारतीय सेना हावी है, खासतौर से हमारी सेना के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद आतंकवादियों के लिए घुसपैठ करना बेहद मुश्किल हो गया है। घाटी में आतंकवादियों द्वारा आईएसआईएस का झंडा लहराने के एक सवाल पर जेटली ने इसे छिटपुट घटना बताया। उन्होंने कहा, कुल मिलाकर हमारा देश आईएसआईएस के खतरे से मुक्त है।
रक्षा मंत्री ने आरोप लगाया, देश के अंदर कुछ ऐसी ताकतें हैं जो कि सुरक्षा बलों की आलोचना कर देश को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं। मैं लेफ्ट के नेताओं के बारे में समझ सकता हूं जब वे इस तरह के राष्ट्रविरोधी तत्वों का समर्थन करते हैं, लेकिन जब मुख्यधारा की पार्टी और नेता उसका साथ देते हैं तो फिर यह परेशानी की बात हो जाती है। क्या आप यह कल्पना कर सकते हैं कि इंदिराजी, राजीव गांधी या नरसिम्हा राव कांग्रेस के किसी नेता के ऐसे कदम का समर्थन करते?
डोकलाम गतिरोध पर टिप्पणी नहीं
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