नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट तीन तलाक की वैधानिकता पर मंगलवार को अपना फैसला सुना सकता है। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे. एस. खेहर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन, न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर वाली पांच सदस्यीय पीठ मुस्लिम समाज में 1400 वर्षो से परंपरा में चली आ रही इस विवादित रस्म की वैधानिकता पर अपना फैसला सुनाएगी। उल्लेखनीय है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) भी तीन तलाक को भयावह, गुनाह और अवांछनीय करार दिया है और कुरान तथा शरिया में भी इसकी इजाजत नहीं दी गई है। दुनिया के कई मुस्लिम देशों में भी तीन तलाक गैर कानूनी है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
तीन तलाक मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने 12 मई से 18 मई के बीच पांच दिन सुनवाई की। हालांकि इससे पहले 16 अक्टूबर, 2015 को सर्वोच्च न्यायालय ने मामले में उन सभी जनहित याचिकाओं को अलग से सूचीबद्ध करने के लिए कहा था, जिसमें मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का मुद्दा उठाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि शुरुआती सुनवाई के दौरान ही स्पष्ट कर दिया था कि वह ऐसी किसी चीज की वैधानिकता की जांच नहीं करेगा, जो इस्लाम की धार्मिक परंपराओं का अंतस्थ हिस्सा है और इसलिए बहु-विवाह प्रथा पर अदालत कुछ नहीं कहेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले से जुड़े सभी पक्षों के सामने तीन प्रश्न रखे हैं। ये तीनों प्रश्न हैं - क्या तीन तलाक इस्लाम का मूलभूत सिद्धांत है? क्या तीन तलाक को इस्लाम में पवित्र माना जाता है? और क्या तीन तलाक अनिवार्य रूप से लागू किया जाने वाला मूलभूत अधिकार है? सुनवाई के दौरान मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक परामर्श जारी किया था, जिसमें काजियों से कहा गया था कि वे निकाह कबूल करने से पहले महिलाओं को विकल्प दें कि क्या वह तीन तलाक नहीं चाहेंगी।
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