कानपुर। चिकित्सक लोगों की जान बचाते हैं और उन्हें खुशहाल
जिंदगी के तौर-तरीके बताते हैं, लेकिन कानपुर
के हैलट हॉस्पिटल में मेडिसिन विभाग में नियुक्त डॉक्टर ने छठी मंजिल से कूदकर
अपनी जान दे दी। दुनिया को अच्छी जिंदगी की सीख देने वाले डाक्टर की सुसाइड से हर
कोई स्तब्ध रह गए।
वह एक अच्छी चिकित्सक मानी जाती थी, लेकिन वे अकेलेपन और बीमारी से इतनी आजिज आ गई कि उन्होंने अपनी जिंदगी
समाप्त कर ली। सुसाइड से पहले एक नोट लिखा है, जिसमें डॉक्टर का दर्द सामने आया है। सुसाइड नोट में लिखा कि जान देने में
तकलीफ तो होगी,
लेकिन इस बीमारी से
ज्यादा नहीं।
हैलट अस्पताल के
मेडिसिन विभाग में महिला प्रोफेसर डा. अशर्फी
त्रिपाठी तीन दिन पहले ही अपना सरकारी अवास छोड़ कर कल्याणपुर मकड़ीखेड में कान्हा
श्याम अर्पाटमेंट में रहने के लिए आई थी। डॉ. त्रिपाठी दाहिने पैर से विकलांग थी और आर्टिफिशल जूते के सहारे ही चलती
थी। उन्होंने 2005
में उपेंद्र
त्रिपाठी से लव मैरिज शादी से की थी। जो भारतीय सेना में सिपाही के पद पर तैनात
थे। पत्नी की विकालांग के कारण उपेंद्र ने 2006 में वीआरएस ले लिया था। जिसके बाद वह अपनी पत्नी और बच्चे की देखभाल करते
थे। डा. त्रिपाठी ने कुछ तीन साल पहले अपने बेटे
सूर्यांश के नाम पर कल्याणपुर में एक प्राइवेट अस्पताल खोल रखा था।
जिसकी देखरेख पति उपेंद्र करते थे। पति की बड़ी बहन ने बताया कि
एक साल पहले भाभी के पेट का आपरेशन हुआ था। वह जन्म से ही एक पैर से विकलांग थी और
आर्टिफिशल जूते के सहारे ही चलती थी। आपरेशन के बाद से उनकी तबीयत और खराब रहने
लगी। जिससे वह डिप्रेशन में चली गई। इसी डिप्रेशन वह तीन दिन पहले सरकारी आवास
खाली कर अर्पाटमेंट में रहने के लिए आई थी। उन्होंने बताया कि शनिवार सुबह उनके
पास भाई उपेंद्र का फोन आया कि डा० अशर्फी ने छठी मंजिल से कूदकर सुसाइड कर लिया
है। मौके पर पहुंची पुलिस और फारेंसिक टीम ने साक्ष्य जुटाए। फिलहाल पुलिस ने शव
को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजते हुए मामले की जांच में जुट गई है।
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