नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कल्याण से जुड़ी विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार को अनिवार्य बनाने वाली सरकारी अधिसूचना पर अंतरिम आदेश देने से इंकार कर दिया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों के पास अभी आधार कार्ड नहीं है, उन्हें सरकारी योजनाओं से वंचित नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की अवकाशकालीन पीठ ने मंगलवार को कहा कि याचिकाकर्ताओं की महज इस आशंका के आधार पर कि आधार कार्ड नहीं होने पर सरकार लोगों को विभिन्न समाज कल्याण योजनाओं का लाभ उठाने से वंचित कर सकती है, वे इस चरण पर आकर कोई अंतरिम आदेश नहीं दे सकते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सुप्रीम कोर्ट ने अपने 9 जून के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि इस मामले में इससे अधिक अवलोकन की आवश्यकता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए 7 जुलाई की तारीख निर्धारित की है। सुप्रीम कोर्ट ने 9 जून को आयकर अधिनियम के उस प्रावधान की वैधता को बरकरार रखा गया था जो पैन कार्ड तथा कर रिटर्न फाइल करने के लिए आधार को अनिवार्य बनाता है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने इसके क्रियान्वन पर तब तक के लिए आंशिक रोक लगा दी थी जब तक संवैधानिक पीठ निजता के अधिकार के मुद्दे को नहीं देख लेती। सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि विभिन्न समाज कल्याण योजनाओं का लाभ उठा रहे वे लोग जिनके पास आधार नहीं है उनके लिए केंद्र ने अंतिम समय सीमा 30 जून से बढ़ाकर 30 सितंबर कर दी है।
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