नई दिल्ली। मोदी सरकार ने जातियों के आधार पर राजनीति और वोट बैंक को लेकर एक नया दांव खेला है। बुधवार को कैबिनेट की बैठक में केंद्र सरकार ने यह फैसला किया कि केन्द्र सरकार की नौकरियों में ओबीसी की भीतर अलग-अलग जातियों को आरक्षण देने के लिए अब हर जाति का कोटा तय किया जाएगा। यानी कि पिछड़ा वर्ग के लिए जो आरक्षण है उसमें अब आरक्षण के भीतर आरक्षण की व्यवस्था होगी। एक और फैसले में कैबिनेट ने आरक्षण का लाभ पाने के लिए क्रीमी लेयर की आमदनी का दायरा 6 लाख से बढ़ाकर 8 लाख सालाना कर दिया है। यानी जिन परिवारों की सालाना आमदनी 8 लाख रुपए तक है वह क्रीमी लेयर के भीतर नहीं आएंगे और उन्हें आरक्षण का लाभ मिलता रहेगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में अन्य पिछड़े वर्गों के उप-श्रेणीकरण के मुद्दे पर संविधान के अनुच्छेद 340 के अंतर्गत एक आयोग के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इस कदम से अधिक जरूरतमंद व्यक्ति को केंद्र सरकार के आरक्षण लाभ में समावेश करने का मौका मिलेगा। यह आयोग अध्यक्ष की नियुक्ति की तिथि से 12 सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर देगा। आयोग को अन्य पिछड़ा वर्गों के उप-श्रेणी की जांच आयोग के रूप में जाना जाएगा।
प्रस्तावित आयोग के कार्यो में केंद्रीय सूची में शामिल ओबीसी के संदर्भ में, ओबीसी की विस्तृत श्रेणी में शामिल जातियों/समुदायों के बीच आरक्षण के लाभ के असमान वितरण की प्रमात्रा की जांच करना शामिल है। साथ ही पिछड़े वर्गों के भीतर उप-श्रेणीकरण के लिए, क्रिया विधि, मानदंड मानकों एवं पैरा-मीटरों का वैज्ञानिक तरीके से आकलन करना तथा अन्य पिछड़े वर्गों की केंद्रीय सूची में संबंधित जातियों/समुदायों/उप-जातियों/पर्यायों की पहचान करने और उन्हें उनकी संबंधित उप-श्रेणी में श्रेणीकृत करने की कवायद शुरू करना करना शामिल है। वर्तमान में नौ राज्यों- आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पुदुच्चेरी, हरियाणा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र एवं तमिलनाडु में पिछड़ी जातियों के उपवर्गीकरण की व्यवस्था है।
आपको बता दें कि बिहार और उत्तरप्रदेश में यादव जाति के ज्यादातर वोटर बीजेपी के मुकाबले लालू यादव की आरजेडी और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ ज्यादा मजबूती से खड़े होते हैं। इस फैसले से बीजेपी ओबीसी जातियों में यादव को छोडक़र दूसरे जातियों के बीच अपनी पकड़ को मजबूत बनाएगी। बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में मायावती और अखिलेश यादव से निपटने के लिए सोशल इंजिनियरिंग की थी। गैर यादव समेत सभी पिछड़ी जातियों को एकजुट करने में बीजेपी ने पूरी ताकत लगाई थी। इसमें पार्टी को भरपूर सफलता भी मिली। बीजेपी ने इन जातियों से आने वाले लोगों को लगभग डेढ़ सौ सीटों पर टिकट दिए। बीजेपी की बड़ी जीत में गैर यादव और पिछड़ी जातियों के धु्रवीकरण को सबसे बड़ा कारण माना गया। उत्तर प्रदेश के अलावा देश के अधिकतर बड़े राज्यों में इन्हीं पिछड़ी जातियों की तादाद सबसे अधिक है। ऐसे में बीजेपी अब यूपी फार्म्युले को देश के सभी राज्यों और 2019 आम चुनाव में भी अपनाना चाहती है।
बिहार में इस फार्म्युले में सबसे बड़े बाधक नीतीश कुमार थे, लेकिन अब जबकि वह खुद एनडीए का हिस्सा हैं तो बीजेपी को बिहार में इससे बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है। नीतीश ने बिहार में ओबीसी को अलग-अलग श्रेणी में बांटने की पहल की थी। नीतीश कुमार ने महादलित की श्रेणी भी बनाई, जो बाद में उनका बड़ा वोट बैंक बनी। अब आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में मोदी सरकार ओबीसी की नई श्रेणी बनाकर इसका पूरा राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर सकती है।
पासवान ने किया केंद्र के फैसले का स्वागत
लोकसभा चुनाव 2024 का पहला चरण - त्रिपुरा, सिक्किम में 80 फीसदी से ज्यादा मतदान, बिहार में 50 फीसदी से कम मतदान
राहुल की कप्तानी पारी, लखनऊ ने सीएसके को आठ विकेट से हराया
केन्या में भारी बारिश से 32 लोगों की मौत
Daily Horoscope