भारतीय स्वाधीनता संग्राम में मंगल पांडे का नाम अग्रणी योद्धाओं के रूप
में लिया जाता है जिनके द्वारा भडक़ाई गई क्रांति की ज्वाला से ईस्ट इंडिया
कंपनी का शासन बुरी तरह हिल गया था। मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 को
उत्तरी भारत में पूर्वी उत्तर प्रदेश के फैजाबाद ग्राम में दिवाकर पांडे के
परिवार में हुआ था। मंगल पांडे के पिता दिवाकर पांडे साधारण से किसान
थे। उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। हर साल बाढ आने की वजह से फसल
भी बर्बाद हो जाती थी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मंगल पांडे जाति से ब्राह्मण थे। उन दिनों
अंग्रेज केवल ब्राह्मण और मुसलमानों को ही सेना में भर्ती किया करते थे।
उनका मानना था कि ब्राह्मण बडे विश्वास पात्र होते हैं। इसी के चलते मंगल
पांडे को भी सेना में भर्ती किया गया। कहा जाता है की किसी ब्रिगेड के
द्वारा उनकी आर्मी में भर्ती की गयी थी। 34 बंगाल थलसेना की कंपनी में
उन्हें 6वीं कंपनी में शामिल किया गया, मंगल पांडे का ध्येय बहोत ऊँचा था,
वे भविष्य में एक बडी सफलता हासिल करना चाहते थे।
कैसे मंगल पांडे बने विद्रोही-
यह
घटना 31 जनवरी 1857 की है। उन समय छुआछूत की भावना समाज में बहुत ज्यादा
फैली हुई थी। उच्च जाति के लोग खुद को श्रेष्ठ मानते थे और नीची जाति के
लोग दब कर जीते थे। ऐसे ही एक दिन मंगल पांडे अपने लोटे में पानी भरकर खाना
खाने बैठे ही थे कि अचानक एक कर्मचारी वहां आया जो भंगी जाति का था। उसे
बहुत तेज प्यास लगी थी।
उस कर्मचारी ने मंगल पांडे से कहा पंडित जी,
बडी तेज प्यास लगी है जरा अपने लोटे का पानी पीने दीजिये। मंगल पांडे ने
उस कर्मचारी को पानी पिलाने से इंकार कर दिया और उसे दुत्कारा कि तू भंगी
जाति का है, तुझे अपने लोटे से पानी नहीं पिला सकता।
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