नई दिल्ली। देश में शुरू हुए बैंक घोटालों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी बैंक) देश के सबसे बडे लोन घोटाले के बाद एक और बैंक घोटाला सामने आया है। इस बार घोटाले का मुख्य शिकार देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) बनी है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
बताया जा रहा है कि इस बार घोटाला करने वाल कंपनी कनिष्क गोल्ड प्राइवेट लिमिटेड है। सीबीआई को भेजी अपनी शिकायत में एसबीआई ने इस घोटाले का जिक्र किया है। अपनी शिकायत में एसबीआई ने बताया है कि कनिष्क ज्वैलर्स ने 824.15 करोड रुपए की धोखाधडी की है। एसबीआई ने कनिष्क गोल्ड प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ सीबीआई से जांच की मांग करते हुए कहा कि इस कंपनी ने कर्ज मामले में 824.15 करोड रुपये की धोखाधडी की है।
एसबीआई उन 14 सरकारी और निजी बैंकों में शामिल अहम बैंक है, जिसने इस कंपनी को 824 करोड रुपए का प्रिंसपल लोन दिया है। असल रकम 824 करोड रुपये का है, लेकिन अगर ब्याज को भी जोड लें तो बैंकों को 1 हजार करोड से अधिक का नुकसान हुआ है। इसकी जानकारी सबसे पहले एसबीआई ने 11 नवंबर 2017 को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) को दी। जनवरी तक दूसरे बैंकों ने भी रेग्युलेटर को धोखाधडी के बारे में बताया।
सीबीआई को लिखे पत्र में एसबीआई ने बताया है कि कनिष्क गोल्ड ने 2007 से कर्ज लेना शुरू किया और बाद में उसने अपनी क्रेडिट की सीमा बढवा लिया। हालांक सीबीआई ने इस पर अभी कोई एफआइआर दर्ज नहीं की है। बता दे कि कनिष्क का रजिस्टर्ड ऑफिस चेन्नै में है। इसके मालिक और प्रमोटर-डायरेक्टर भूपेश कुमार जैन और उनकी पत्नी नीता जैन हैं। बैंकर्स ने कहा कि वे दंपती से संपर्क नहीं कर पाए हैं। माना जा रहा है के वे अभी मॉरिशस में हैं।
एसबीआई ने कहा कि जूलर ने सबसे पहले मार्च 2017 में ब्याज भुगतान में 8 सदस्य बैंकों से डिफॉल्ट किया। अप्रैल 2017 तक कनिष्क ने सभी 14 बैंकों को पेमेंट रोक दी। 5 अप्रैल 2017 को स्टॉक ऑडिट की शुरुआत के समय बैंकर्स प्रमोटर से संपर्क करने में असफल रहे। 25 मई 2017 को जब बैंकर्स ने कनिष्क के कॉर्पोरेट ऑफिस का दौरा किया तो फैक्ट्री, शोरूम बंद था। वहां कोई कामकाज नहीं हो रहा था। उसी दिन भूपेष जैन ने बैंकर्स को लेटर लिखकर रिकॉड्र्स में जालसाजी की बात स्वीकार की। बाद में जब बैंकर्स दूसरे शोरू पर पहुंचे तो पता चला कि वे भी बंद हैं।
मद्रास जूलर्स ऐंड डायमंड मर्चेंट्स असोसिएश के प्रतिनिधि ने कहा, ‘कंपनी घाटे को सहन नहीं कर पा रही थी और मई 2017 में ही बंद हो गई।’
एसबीआई के लेटर से पता चलता है कि कनिष्क पर लोन 2007 से ही बकाया है। समय बीतने के साथ बैंकों ने कनिष्क के लिए क्रेडिट लिमिट और वर्किंग कैपिटल लोन की लिमिट बढा दी।
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