नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिले सुकमा में सोमवार को नक्सलियों के हमले में 25 जवानों के मारे जाने पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीआरपीएफ से रिपोर्ट मांगी है। इस हमले ने हर किसी को हिला कर रख दिया है। गृह मंत्रालय ने सीआरपीएफ से पूछा है कि मामले में इतनी बड़ी चूक कैसे हुई और इसके लिए कौन जिम्मेदार है।
अब इस मामले में स्थानीय लोगों की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है। इस हमले में घायल हुए सीआरपीएफ के जवानों ने जो खुलासा किया है, वह हैरान कर देने वाला है। अस्पताल में इलाज करा रहे सीआरपीएफ जवान शेर मोहम्मद ने बताया कि नक्सली हमले से पहले ग्रामीणों ने रेकी की थी। उस वक्त हम लोग खाना खाकर उठे ही थे। ग्रामीणों की रेकी के बाद नक्सलियों ने हमले को अंजाम दिया। पहली फायरिंग नक्सलियों ने की। इसके बाद हमने भी जवाबी कार्रवाई की। एक दूसरे सीआरपीएफ जवान जितेंद्र ने बताया कि हमारी कार्रवाई में भी कई नक्सली ढेर हुए। वैसे हम लोग तो नक्सलवाद से लड़ ही रहे हैं, लेकिन जब तक सरकार नहीं चाहेगी, नक्सलवाद खत्म नहीं होगा।
छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सुकमा जिले के चिंतागुफा थाना क्षेत्र के अंतर्गत बुरकापाल गांव के करीब नक्सलियों ने सीआरपीएफ की टीम पर हमला कर दिया। चिंतागुफा थाना क्षेत्र में सीआरपीएफ की 74वीं बटालियन की दो कंपनियों को बुरकापाल से चिंतागुफा के मध्य बन रही सडक़ की सुरक्षा में रवाना किया गया था। दल जब बुरकापाल से लगभग डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर था, तब नक्सलियों ने घात लगाकर पुलिस दल पर गोलीबारी शुरू कर दी।
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