नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थित गोरखनाथ मन्दिर नाथ संप्रदाय
का प्रमुख मठ है। बाबा गोरखनाथ के नाम पर इस जिले का नाम गोरखपुर पड़ा है।
वैसे तो इस मंदिर की काफी मान्यता है, लेकिन इन दिनों मंदिर के मौजूदा
महंत बाबा आदित्यनाथ के यूपी के मुख्यमंत्री बन जाने के बाद यह मंदिर
ज्यादा चर्चाओं में आ गया है। मकर संक्रांति के अवसर पर यहां विशाल मेला
लगता है जो ‘खिचड़ी मेला’ के नाम से प्रसिद्ध है। मकर संक्राति के दिन
मंदिर के बाहर सुरक्षा के खास इंतजाम किए जाते हैं।
मंदिर का इतिहास
गोरखनाथ
(गोरखनाथ मठ) नाथ परंपरा में नाथ मठ समूह का एक मंदिर है। इसका नाम
गोरखनाथ मध्ययुगीन संत गोरक्षनाथ (सी. 11वीं सदी ) से निकला है जो एक
प्रसिद्ध योगी थे जो भारतभर में व्यापक रूप से यात्रा करते थे और नाथ
सम्प्रदाय के कैनन के हिस्से के रूप में ग्रंथों के लेखक भी थे। नाथ परंपरा
गुरु मत्स्येंद्रनाथ द्वारा स्थापित की गई थी। गोरखनाथ मंदिर उसी स्थान पर
स्थित है जहां वह तपस्या करते थे और उनको श्रद्धांजलि समर्पित करते हुए यह
मन्दिर की स्थापना की गई। मंदिर का नाम गुरु गोरक्षनाथ के नाम पर रखा गया
जिन्होंने अपनी तपस्या का ज्ञान मत्स्येंद्रनाथ से लिया था, जो नाथ
सम्प्रदाय (मठ का समूह) के संस्थापक थे। अपने शिष्य गोरक्षनाथ के साथ
मिलकर, गुरु मत्स्येंद्रनाथ ने योग स्कूलों की स्थापना की जो योग अभ्यास के
लिये बहुत अच्छे स्कूल माने जाते थे।
मंदिर की मान्यता
पूर्वी उत्तर
प्रदेश, तराई क्षेत्र और नेपाल में यह मंदिर काफी लोकप्रिय है। गुरु
गोरक्षनाथ के साथ जुड़ी कथा का एक चमत्कारिक कथा है। कहा जाता है कि जो भी
भक्त गोरक्षनाथ चालीसा का 12 बार जप करता है वह दिव्य ज्योति या चमत्कारी
लौ के साथ ही धन्य हो जाता है।
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