पानीपत। कुराना गांव के महावीर सिंह ने दंगल में अपने वजन में कई नामी पहलवानों को चित कर दिया। उनकी गिनती जिले के बेहतरीन पहलवानों में रही। इसके बावजूद वे राज्य और राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में नहीं खेल पाए। इसका मलाल था, लेकिन उन्होंने प्रण कर लिया था कि बेटे को नामी पहलवान बनाएंगे। बड़े बेटे दिनेश ने कुश्ती में दिलचस्पी नहीं दिखाई। थोड़ी मायूसी हुई। छोटे बेटे मोनू ने पहलवानी के लिए हामी भर दी और सात साल दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में महाबली सतपाल से कुश्ती के गुर सीखे।पिता महावीर उसके लिए घी व दूध पहुंचाते हैं। मोनू ने 17 मार्च को जींद में हरियाणा केसरी (सबसे ताकतवर पहलवान) का खिताब जीतकर पिता के घी के कर्ज को चुकता कर दिया। यह खिताब जीतने वाला मोनू जिले का पहला पहलवान भी बन गया है। मोनू से जब इस बारे में बात की गई तो उसका कहना था कि उसकी कामयाबी के पीछे पिता का हाथ है। पिता ने उसके साथ काफी मेहनत की है। आज जो भी कामयाबी मिली है, वह पिता की बदौलत ही है।पूर्व अंतरराष्ट्रीय कुश्ती कोच प्रेम सिंह आंतिल का कहना है कि मोनू शारीरिक और तकनीकी रूप से मजबूत है। वह विरोधी पहलवान की चाल को भांपकर तुरंत दांव भी लगा देता है। इसी खूबी से वह अंतराष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में पदक जीत सकता है। इसके लिए बस उसे थोड़ी तैयारी करने की जरूरत है।हरियाणा केसरी विजेता मोनू का कहना है कि उसका इंडिया कुश्ती कैंप में चयन हो चुका है। आगामी एशियन चैंपियनशिप के लिए तैयार करा है। वह अपने पसंदीदा दांव कला जंग और दोहरी पट निकालने के दांव का हर रोज 200 बार अभ्यास करता है। वह वहां भी जरूर जीतेगा।
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