नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट कमिटी द्वारा सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट जजों की तनख्वाह बढाने के प्रस्ताव पर केन्द्र सरकार ने अपनी मोहर लगा दी है। यह प्रस्ताव खुद शीर्ष अदालत ने ही दिया था। तीन जजों की कमिटी ने सरकार को वेतन बढ़ाने का प्रस्ताव कुछ महीनों पहले दिया था। पिछले साल जब सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू हुई थीं, तब ही पैनल ने सरकार को अपनी सिफारिशें भेज दी थीं। जजों को तनख्वाह केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी के अनुरूप ही दी जाएगी। भारत के चीफ जस्टिस को न्यायपालिका में सबसे ज्यादा सैलरी मिलती है। उनका डीए और बाकी भत्ते को हटा दें तो उन्हें 1 लाख रुपये महीना सैलरी मिलती है। इसमें सरकारी आवास, वाहन और दूसरे भत्ते भी शामिल हैं। वेतन बढने के बाद उनकी तनख्वाह 2.8 लाख रुपये हो जाएगी। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के जजों और हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की सैलरी 2.5 लाख रुपये हो जाएगी, जो कैबिनेट सेक्रेटरी स्तर के कर्मचारियों, सर्विस चीफ और सीएजी और सीईसी के चीफ के बराबर है। वहीं हाई कोर्ट के जजों की सैलरी 2.25 लाख रुपये हो जाएगी, जो केंद्रीय सरकार में सचिव स्तर के अधिकारियों के बराबर है।
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