भरतपुर। राजस्थान के सेवारत चिकित्सकों को पीजी में उच्चतम न्यायालय के दिशा निर्देशों के अनुसार लाभ देने तथा उन्हें शोषण से बचाने की मांग को लेकर भरतपुर जिले के राजकीय चिकित्सक गुरुवार को सामूहिक अवकाश पर रहे। इस अवसर पर डॉ. कप्तान सिंह ने बताया कि राजस्थान सरकार के ताजा फैसले से सेवारत चिकित्सकों को पीजी में प्रवेश के लिए कुल सीटों का 50 प्रतिशत कोटा खत्म कर दिया गया है, जो कि सर्वोच्च न्यायालय का सेवारत चिकित्सकों के लिए उनकी सेवा अवधि के अनुसार 10, 20, 30 प्रतिशत अतिरिक्त अंक दिए जाने के निर्देशों के खिलाफ है एवं सरकार का यह निर्णय सेवारत चिकित्सकों के हितों एवं भविष्य पर कुठाराघात है। जिसके चलते चिकित्सकों ने मांग की कि उच्चतम न्यायालय के द्वारा दिए गए निर्देशानुसार 10, 20, 30 प्रतिशत के हिसाब से इन्सेन्टिव अंक दिए जाए ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे चिकित्सक हतोत्साहित न हों साथ ही अन्य मेडीकल स्टाफ को शोषण से बचाने के लिए समस्त चिकित्सालयों का संचालन एक ही पारी में किया जाए। सामूहिक अवकाश के दौरान गंभीर मरीजों को परेशानी ना हो इसके लिए अस्पताल में इमरजेन्सी सेवाए जारी रखी गई। इस दौरान चिकित्सकों ने एक बैठक भी की। जिसमें पीएमओ डॉ. श्याम सुन्दर शर्मा, डा. मनीष चैधरी, डॉ. राजवीर सिंह, डॉ. कप्तान सिंह, डॉ. योगेश, डॉ. के.सी. बंसल, डॉ. विवेक भारद्वाज, डॉ. मनीश गुप्ता, डॉ. धमेन्द्र, डॉ. सुनील पाठक, डॉ. अशोक वर्मा सहित कई चिकित्सक मौजूद रहे।
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