आगरा।
आगरा की साइबर सेल ने चेक क्लोनिंग कर खातों से लाखों रुपये निकालने वाले रैकेट को
पकड़ा है। रैकेट के लोग कारोबारियों के लाखों रुपये निकाल चुके हैं। पुलिस ने पांच
शातिर और उनके पास से जाली चेक,
प्रिंटर, कंप्यूटर समेत अन्य सामान बरामद किया
है।
साइबर सेल द्वारा पकड़े गए गिरोह के सदस्यों ने बताया कि उनके
अलग-अलग शहरों में सदस्य हैं। ये किसी पोस्ट ऑफिस या बैंकों से किसी के चेक की
फोटो मोबाइल से खींच लेते थे। इसे मथुरा में बैठे शशांक को भेजा जाता था। वह उसी
बैंक की चेक बुक से चेक निकालकर खाता और चेक नंबर ब्लेड से मिटा देते थे। पानी से
साफ कर प्रिंटर में डालकर उस स्थान पर समान रंग डालते थे। इसके बाद जिस व्यक्ति के
खाते से रुपये निकालने होते थे, उसके हस्ताक्षर कोरल ड्रॉ के
माध्यम से तैयार किए गए चेक पर कर देते थे। इस पूरी प्रक्रिया में सिक्योरिटी फीचर
सही रहता था। चेक तैयार होने पर उसे बैंक में लगाकर दूसरे खाते में आरटीजीएस कर
देते थे और उस खाते से रुपये निकाल लेते।
कमला नगर की यमुनोत्री कॉलोनी निवासी नमकीन कारोबारी पंकज चिमनानी
के खाते से 25 जनवरी को 1.89 लाख रुपये
पार हो गए थे। बैंक से जानकारी पर पता चला कि ये रुपये रीवा के मंगल सिंह के खाते
में ट्रांसफर किए गए हैं। डीआइजी महेश मिश्र ने रेंज की साइबर सेल से जांच कराई। 21
मार्च को टीम ने मथुरा के ब्रज हाईवे अपार्टमेंट, औरंगाबाद से गिरोह के सरगना शशांक विश्वकर्मा समेत पांच को गिरफ्तार कर
लिया। शशांक हिम्मतगंज, इलाहाबाद निवासी है। गिरोह ने एक साल
पहले दस हजार रुपये प्रति माह के किराये पर फ्लैट लिया। इससे पहले दिल्ली में रहकर
चेक क्लोनिंग करते थे।
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