बांदा। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त मिलने के बाद
बहुजन समाज पार्टी ने अपनी सोशल इंजीनियरिंग के नारे ब्राह्मण शंख बजाएगा, हाथी बढ़ता जाएगा को बदलते हुए नया नारा ब्राह्मण उत्पात मचाएगा, हाथी बढ़ता जाएगा गढ़ा है। अब वह 2019 के लोकसभा
चुनाव तक अन्य दलितों और पिछड़े वर्ग पर भाजपा सरकार में होने वाली जुल्म-ज्यादती से
किनारा करेगी।
उप्र विधानसभा के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को 403 में से सिर्फ 19 सीटों पर ही सफलता मिली है। बसपा
प्रमुख भले ही ईवीएम पर गड़बड़ी किए जाने की आशंका जाहिर कर रही हों, लेकिन तल्ख सच्चाई यह है कि कभी अनुसूचित जातियों (दलित) कोरी, खटिक, धोबी, मेहतर, कुछबंधिया, पासी और पिछड़े वर्ग की आरख, कहार, केवट, कुम्हार, काछी, कुर्मी, कलार, कचेर जैसी कई जातियां बसपा में राजनीतिक उपेक्षा के चलते पाला बदलते हुए
भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में एकतरफा मतदान करने से ही उसकी हालत खस्ता हुई है।
कभी बसपा का गढ़ रहे बुंदेलखंड में बसपा का खाता तक नहीं खुला और
भाजपा सभी 19 सीटें जीतने में सफल हुई है, इनमें ललितपुर की महरौनी, झांसी की मऊ-रानीपुर,
जालौन की उरई सदर, हमीरपुर की राठ और बांदा
जिले की नरैनी सुरक्षित सीटों पर कोरी बिरादरी के ही उम्मीदवार चुनाव जीते हैं। इन
सीटों पर बसपा मुखिया ने अपनी ही जाटव बिरादरी पर दांव लगाकर बहुत बड़ी राजनैतिक
भूल की थी। इसी भूल का असर रहा है कि अप्रत्यक्ष रूप से बने `कोरी-ब्राह्मण` गठजोड़ के अलावा सामान्य और अन्य
पिछड़े वर्ग के प्रत्याशी उतार कर भाजपा ने सपा और बसपा के मजबूत किले को ध्वस्त
कर दिया है।
बसपा के बड़े नेता भले ही इस भूल को स्वीकार न करें, लेकिन बसपा कैडर से जुड़े जमीनी कार्यकर्ता इसे ही हार की असली वजह मानते
हैं। इसके बावजूद वे आश्वस्त हैं कि 2019 में होने वाले
लोकसभा चुनाव से पहले सूबे की भाजपा सरकार में बसपा से मुंह मोड़ने वाले दलित और
पिछड़े वर्ग के लोग `जुल्म-ज्यादतियां` झेलने के बाद फिर बसपा में वापसी के लिए मजबूर होंगे।
लोकसभा चुनाव 2024 : देश की 102 सीटों पर छिटपुट घटनाओं को छोड़ शांतिपूर्ण रहा मतदान
लोकसभा चुनाव 2024: देश की 102 सीटों पर कुल 59.71% मतदान दर्ज
Election 2024 : सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल और सबसे कम बिहार में मतदान
Daily Horoscope