नई दिल्ली/लखनऊ। राम मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा समेत सभी भगवा दल और कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने स्वागत किया है, लेकिन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य, ऑल इंडिया बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक और बाबरी मस्जिद के लिए केस लड़ रहे वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि हम माननीय सुप्रीम कोर्ट के इस सुझाव का स्वागत करते हैं, लेकिन हमें कोई आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट मंजूर नहीं है। दूसरी ओर भाजपा प्रवक्ता पात्रा ने कहा, पार्टी इस पर सुुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का व्यापक अध्ययन करेगी और संबंधित पक्ष इसको मिलकर सुलझाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुलह समझौते की पहल पर इस विवाद से जुड़े हिन्दू पक्ष ने असहमति जताई है। विवाद के एक प्रमुख पक्षकार राम लला विराजमान के वकील मदन मोहन पाण्डेय ने एक अखबार से कहा कि मंदिर-मस्जिद विवाद के निपटारे के लिए किसी भी संबंधित पक्ष ने समझौते के बाबत सुप्रीम कोर्ट में कोई प्रार्थना पत्र नहीं दिया है। पाण्डेय का तर्क है कि सीपीसी के सेक्शन 89 में यह प्रावधान तो है कि अदालत सभी पक्षों से किसी मसले पर अपनी राय व्यक्त करने को कहा सकती है मगर वह समझौते के लिए बाध्य नहीं कर सकती। उन्होंने हाईकोर्ट लखनऊ के तीन जजों की बेंच द्वारा वर्ष 2010 में दिए गए फैसले के हवाले से कहा कि अदालत ने भी यह माना है कि विवादित ढांचे के मुख्य गुम्बद वाली जमीन रामलला का जन्मस्थान है। उन्होंने कहा कि अगर अन्य पक्षों की तरफ से कोई प्रस्ताव आता है तो रामलला विराजमान की तरफ से उस पर विचार किया जा सकता है मगर समझौता किसी भी सूरत में मंजूर नहीं होगा।
संजय सिंह का आरोप: शराब घोटाले में पूरी तरह लिप्त है बीजेपी, ये कमल छाप घोटाला है
लोकसभा चुनाव 2024 - राजस्थान में दांव पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की प्रतिष्ठा
पंजाब में कांग्रेस को बड़ा झटका, भाजपा में शामिल हुए तजिंदर सिंह बिट्टू और करमजीत कौर
Daily Horoscope