वाराणसी। ज्योतिषपीठ प्रकरण सम्मति और सम्मान का नहीं बल्कि सनातन धर्म का है इसीलिए शंकराचार्य पद पर योग्य संन्यासी की नियुक्ति होती है और जो लोग इस पीठ का शंकराचार्य होने का दावा कर रहे वे आचार्य तो क्या संन्यासी होने के भी योग्य नहीं है। यह बात शारदा व ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कही। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
रविवार को केदारघाट स्थित श्रीविद्यामठ में पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य ज्योतिष पीठ को विवादमुक्त रखना है।
उन्होंने कहा कि वासुदेवानंद जो खुद को ज्योतिषपीठ का शंकराचार्य कहकर विवाद उत्पन्न कर रहे वह इस पद के शास्त्रसम्मत व सनातन परपरानुसार योग्य नहीं है।
उन्होंने कहा कि भारत धर्म महामंडल को पूर्ण अधिकार है कि वह अपने कर्तव्य का पालन करते हुए ज्योतिषपीठाधीश्वर के पद को खाली न रहने दे। इसी परंपरा का पालन करते हुए उसने बहुमत से मेरा अभिषेक इस पीठ के शंकराचार्य पद पर 29 नवंबर 2017 को किया है। अब इस प्रक्रिया के चलाने का कोई औचित्य नहीं है।
-- आईएएनएस
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