असगर नकी, सुल्तानपुर। चांद के हिसाब से (8 शव्वाल) ईद की 8 तारीख का दिन इतिहास में
एक बहुत ही दुखद घटना की याद दिलाता है। ऐसी घटना जिसने अहलेबैत
अलैहिस्सलाम से श्रद्धा रखने वालों को दुखी कर दिया। इस दिन तकफ़ीरी टोले
आले सऊद (सऊदी गवार्मेन्ट) ने पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों के मज़ारों को
ध्वस्त कर दिया था। इसीलिए अहलेबैत काउंसिल ने इस दुखद घटना की याद मनाने
और अपना विरोध दर्ज कराने के लिए 2 शव्वाल से 8 शव्वाल तक जन्नतुल बक़ी
सप्ताह बनाने की घोषणा की है। अहलेबैत काउंसिल की ओर से भी अवसर पर व्यापक
स्तर पर प्रदर्शन आयोजित होंगे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
ये दो बातें हैं अहम
अहलेबैत काउंसिल की ओर से जानकारी देते हुए हैदर अब्बास ने बताया कि
जन्नतुल बक़ी के पुननिर्माण का आंदोलन दो कारणों से बहुत ही महत्वपूर्ण है।
पहला यह कि इस साल इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम के जन्म दिन को 1400 साल पूरे
हुए हैं, और दूसरा यह कि आले सऊद और ज़ायोनी शासन के प्राचीन और गुप्त
रिश्ते दुनिया वालों पर स्पष्ट हो चुके हैं।
अहलेबैत काउंसिल ने ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने का किया आह्वान
आले सऊद और सऊदी सरकार के विरुद्ध प्रदर्शनों का आयोजन किया
जाए। संयुक्त राष्ट्र संघ और मानवाधिकार संस्थाओं से जन्नतुल बक़ी के
पुननिर्माण की अपील की जाए। संयुक्त राष्ट्र संघ और भारत के प्रधानमंत्री
को जन्नतुल बक़ी के निर्माण के लिए मेमोरेंडम भेजा जाए।
शोक सभाओं और जूलूसों का आयोजन, सोशल मीडिया पर जन्नतुल बक़ी के निर्माण की
अधिक से अधिक मांग की जाए। 2 शव्वाल से 8 शव्वाल के बीच भारत के मुसलमान
हस्ताक्षर अभियान चलाएं और इस हस्ताक्षर अभियान का मेमोरेंडम संयुक्त
राष्ट्र संघ के महासचिव के नाम अपने ज़िले के डीएम को सौपें।
1344 हिजरी में इनके फतवे पर तोड़े गए थे मज़ार
ज्ञात रहे कि 8 शव्वाल सन 1344 हिजरी क़मरी को आले सऊद के आदेश पर दरबारी व
भेदभाव रखने वाले वहाबी मुफ़्तियों के फ़त्वों के बाद पवित्र नगर मदीने
में स्थित जन्नतुल बक़ी नामक क़ब्रिस्तान में पैग़म्बरे इस्लाम की सुपुत्री
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा और चार इमामों के रौज़े को ध्वस्त कर
दिया गया था। आले सऊद ने जब मक्के और मदीने पर पूरी तरह कब्ज़ा कर लिया तो
उन्होंने पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों के पवित्र रौज़ों को ध्वस्त करने की
योजना बनाई। इसके लिए उसने काज़ी सुलेमान को मदीना रवाना किया ताकि वो वहां
के मुफ़्तियों से अपनी मर्ज़ी के फ़तवे हासिल करें और जन्नतुल बकी को ध्वस्त
करने की भूमिका प्रशस्त करे दरबारी कठमुल्लाओं ने जन्नतुल बकी को ध्वस्त
करने का फ़तवा जारी कर दिया। इस ह्रदयविदारक घटना के बाद इस्लामी दुनिया में
शोक की लहर दौड़ गई और रौज़ों के पुननिर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय अस्तर पर
आंदोलन चलाया गया मग़र वहाबियों ने जिन्हें साम्राज्यवादी शक्तियों का भरपूर
समर्थन हासिल है।अभी तक इस्लामी दुनिया की इस मांग को नही माना है।
इनकी हैं यहां कब्रे
जन्नतुल बकी में इमाम हसन,इमाम ज़ैनुल आबेदीन,इमाम मोहम्मद बाक़िर,और इमाम
जाफ़र सादिक़ अलैहिमुस्सलाम की क़ब्रे है।एक रिवायत के अनुसार उसी स्थान पर
पैगम्बर मोहम्मद साहब की बेटी हज़रत फ़ातेमा ज़ैहरा सलामुल्लाहा अलैहा की भी
क़ब्र है।
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