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शाहजहांपुर। अयोध्या में हम कुछ ही महीनों में राम मंदिर निर्माण का काम शुरू कर देंगे, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में आज से नियमित सुनवाई शुरू हो चुकी है और फैसला भी राम मंदिर के पक्ष में ही आएगा तथा पूरे देश में कहीं भी बाबर के नाम से मस्जिद नहीं बननी चाहिए।
पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री एवं राम जन्मभूमि न्यास कोर कमेटी के सदस्य स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने आज खास खबर डॉट कॉम से बातचीत में कहा कि राम मंदिर देश का सबसे संवेदनशील मामला है और यह विवाद 1885 से चल रहा है तथा 1528 में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की कोशिश की गई थी। इसके बाद भी मुसलमानों ने वहां पर नमाज़ पढ़ना उचित नहीं समझा, क्योंकि भूमि को मुस्लिम बादशाह ने खरीदा नहीं था और ना ही उसके पास कोई भी मालिकाना हक है, इसलिए यह विवादित हो गई।
उन्होंने कहा कि सोमनाथ मंदिर को तोड़कर भी मस्जिद बना दी गई थी। उस समय तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के हस्तक्षेप के बाद मंदिर की पुनः वापसी हो गई। तब लोगों को आशा थी कि राम मंदिर की भी वापसी हो जाएगी, परंतु 2 वर्ष के बाद 22 दिसंबर 1949 की रात को राम लला के प्रकरण पर केंद्र की नेहरू सरकार तथा प्रदेश की पंत सरकार ने मूर्तियों को न हटाने तथा हिंदुओं को पूजा के लिए अनुमति दे दी थी।
सरस्वती ने कहा कि राजीव गांधी ने भी 1 वर्ष का समय मांगा था। उन्होंने भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया। ऐसे में राम मंदिर का मुद्दा उलझता ही चला गया और इसमें मुख्य अड़चन राजनीतिक महत्वकांक्षा रही है।
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