रायबरेली। सलोन विश्व के मानचित्र में अपनी पहचान बनाने वाला समसपुर पक्षी
विहार अव्यवस्थाओं के चलते अपनी पहचान दिन प्रतिदिन खोता जा रहा हैं ।यहाँ
की जर्जर सड़कें व जलकुम्भी से पटती झील पर्यटकों के आने से रोक रही हैं
।एशिया के मानचित्र में अपना नाम दर्ज कराने वाला समसपुर पक्षी विहार पर
पर्यटन विभाग ध्यान दे दे तो यह भी पर्यटकों के पर्यटन स्थल में गिना जाये
।वन प्राणियों की विविधता एवं प्रचुरता इस प्रदेश की बहुमूल्य प्राकृतिक
विरासत हैं । ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
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क्षेत्र में फैले इस समसपुर पक्षी विहार में छह झीलें मिलती हैं ।शीत कालीन
प्रवास के लिये श्रीलंका ,पाकिस्तान ,तुर्किस्तान ,बांग्लादेश ,यूरोप
,अफगानिस्तान आदि देशों से हजारों किलो मीटर की दूरी तय करके हिमालय पर्वत
को पार करके समसपुर पक्षी विहार को प्रवासी पक्षी आते हैं। इसमें से कुछ
पक्षी 5 हजार किमी की दूरी तय कर 10000 मीटर की ऊँचाई से उड़कर यहाँ आकर
समसपुर पक्षी विहार में अपना कलरव सुनाते हैं। वर्ष 1987में स्थानीय व
प्रवासी पक्षियों को उचित संरक्षण प्रदान करने के मद्देनजर समसपुर पक्षी
विहार घोषित किया गया । वहीं झील में कई प्रजाति मछलियों भी पाई जाती हैं ।
इस झील में अज्ञात लोगों द्रारा झील में दवा डाल दिया गया हैं जिससे कई
प्रजाति की मछलियां मर गई हैं ।जिसका कारण पता नहीं लगा ।
ऊंचाहार
,सलोन और ऊंचाहार की सीमा में स्थित समसपुर पक्षी विहार की झील में बड़े
पैमाने पर मछलियां मर रही है ।जिसका कारण झील का पानी दूषित हो रहा है
लेकिन वन विभाग को इसकी खबर नहीं है ।रोहनिया विकासखंड में फैली बकुलाही
झील से जुड़ी हुई समसपुर झील है। इस झील के बड़े भाग में पक्षी विहार है इस
पक्षी विहार के चारों ओर गहरी झील है।
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