नोएडा। एक रुपये का सहारा नहीं है ... योगी जी से अनुरोध है कि मेरी मदद करें, जिससे मेरी बिटिया की शादी हो सके...कार्ड बंट चुके है, नाते रिश्तेदारों में खबर हो चुके है, इससे बड़ी बदनामी होगी, अगर बेटी की शादी रुक गई और बारात नहीं आई तो वो सुसाइट की धमकी ने दे रही है...मैं क्या करूं... ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
ये सब एक माँ की दर्द है, जिसकी बेटी की एक दिन बाद शादी होने वाली है। चिंता बढ़ गई है कि उनकी बेटी की शादी कैसे होगी ? पति दो साल पहले बेटियों का कन्यादान किए बगैर इस संसार को छोड़कर विदा हो गए थे। पति के जाने के
बाद उनके स्थान पर सरकारी नौकरी मिल तो मिल गई, लेकिन सरकारी लालफ़ीताशाई के
चलते न फंड मिला न पीएफ़। इसके चलते दो साल से सैलरी भी रुकी पड़ी है। बेचारी मां काफी समय से
नोएडा अथॉरिटी और लखनऊ के चक्कर लगा थक चुकी है। हर जगह से लाख दो लाख की
डिमांड की जाती है।
छह
सौ कारोड़ की लागत से बने डॉ भीम राव अंबेडकर अस्पताल के भव्यता इसके भवन
में झलकती है। लेकिन मरीजों और कर्मचारियों की दशा ये है इसे जिला अस्पताल कहा
जाता है, लेकिन कंट्रोल नोएडा अथॉरिटी के पास है, नतीजा यहां काम करना दो नाव
पर सवारी करने जैसा है। रीना को यहां पति के मौत के बाद वॉर्ड आया की नौकरी
मिली थी। वे कहती है बकायदा मेरी अटेंडेंस लगती है...रोज अस्पताल जाती
हूं...लेकिन दो साल से न फंड मिला न पीएफ़ इसके चलते दो साल से सैलरी भी
रुकी पड़ी है।
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