लखनऊ | उत्तर प्रदेश में हाल ही
में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के बाद अब राजधानी लखनऊ में महिला मेयर को
लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर ही जोड़तोड़ शुरू हो गई है। इसको
लेकर कई दिग्गज नेताओं ने अपनी पत्नी के लिए लॉबिंग शुरू कर दी है।
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महिला मेयर की रेस में एक तरफ जहां मनकामेश्वर मंदिर की महंत
देव्या गिरी शामिल हैं, वहीं दूसरी तरफ उप्र में भाजपा की वरिष्ठ महिला
नेता कुसुम राय भी इस दौड़ में शामिल हैं, जो उप्र की कैबिनेट मंत्री व
राज्यसभा की सांसद भी रह चुकी हैं।
दरअसल, लखनऊ नगर निगम की सीट
महिला (अनारक्षित) घोषित होने के बाद सभी पार्टियों में महिला प्रत्याशी को
लेकर मंथन के साथ ही लॉबिंग भी तेज हो गई है। भाजपा के भीतर बाहरी और
भीतरी को लेकर समीकरण बैठाए जा रहे हैं।
लखनऊ मेयर के लिए पूर्व
लोक निर्माण मंत्री व राज्यसभा सांसद कुसुम राय का नाम भी काफी तेजी से
चर्चा में आया है। कुसुम के राजनीतिक जीवन की शुरुआत ही वर्ष 1995 में
पार्षद के रूप में हुई थी। इसके बाद उन्होंने काफी तेजी से सफलता की
सीढ़ियां चढ़ीं।
पार्षद बनने के बाद वह कल्याण सिंह की सरकार में
लोक निर्माण मंत्री भी बनीं। हालांकि विधानसभा चुनाव वह नहीं जीत पाई थीं,
बावजूद इसके वह कैबिनेट मंत्री बनने में कामयाब रही थीं। बाद में उनको
विधान परिषद का सदस्य बनाया गया था। इसके बाद वह पांच वर्षो तक राज्य सभा
की सदस्य भी रह चुकी हैं।
पार्टी के ही एक नेता बताते हैं, "कुसुम
राय के नाम पर भी चर्चा हो रही है। कैबिनेट मंत्री व राज्यसभा सांसद रहने
के साथ ही वह नगर निगम की बारीकियों से अच्छी तरह से वाकिफ भी हैं। इसके
अलावा वह राज्य महिला आयोग, उप्र समाज कल्याण बोर्ड की चेयरमैन भी रह चुकी
हैं।"
मेयर की दावेदारी को लेकर हालांकि कुसुम राय अभी कुछ बोलने को
तैयार नही हैं। उन्होंने आईएएनएस से कहा, "यह तो पार्टी के ऊपर निर्भर
करता है कि वह किसे मेयर के लिए योग्य समझती है। मैं बस इतना ही कहना
चाहूंगी कि पार्टी ने जो भी जिम्मेदारियां दी हैं, उसका सफलता से मैंने
निर्वहन किया है। आगे भी जो जिम्मेदारी मिलेगी, उसे निभाऊंगी।"
इधर,
लखनऊ में हो रही लॉबिंग में मनकामेश्वर मंदिर की महंत और मुख्यमंत्री
योगी तक सीधे पहुंच रखने वाली महंत देव्या गिरी भी शामिल हैं। कई सामाजिक
आंदोलनों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने के साथ ही गोमती नदी में उनके सफाई
अभियान की भी काफी तारीफ होती रहती है। पिछले कुछ समय से देव्या गिरी ने
लखनऊ में काफी लोकप्रियता हासिल की है। मेयर पद के लिए इनकी तरफ से भी
तगड़ी दावेदारी पेश की जा रही है।
भाजपा के वरिष्ठ सूत्रों की
मानें तो उप्र में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भगवा चेहरे को बैठाने के बाद
अब लखनऊ में मेयर की कुर्सी पर भी भगवा चेहरे की ताजपोशी काफी मुश्किल लग
रहा है। इसको लेकर पार्टी के भीतर भी एक राय नहीं बन पाई है।
लखनऊ
मेयर पद को लेकर महंत देव्या ने कहा, "मैं हमेशा से सामाजिक जागरूकता और
लोगों की भलाई के लिए काम करती आई हूं। अगर कोई मुझे इस पद लायक समझता है
तो यह मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी। मेरा पहला और अंतिम लक्ष्य सामाजिक
जागरूकता और लोगों की भलाई ही है।"
इन दो कद्दावर महिलाओं के अलावा
लोकसभा चुनावों और विधानसभा चुनावों में पार्टी को मिली अप्रत्याशित जीत के
बाद अपने अच्छे दिनों की आस में कई पार्टियों के लोग भाजपा में शामिल हुए
हैं। ये लोग भी मेयर की कुर्सी पर अपनी नजरें गड़ाए हुए हैं।
लखनऊ
में मेयर सीट के लिए दावेदारों की एक लंबी सूची है। पूर्व विधायक दिवंगत
सतीश भाटिया की पत्नी संयुक्ता भाटिया, पूर्व पार्षद रंजना द्विवेदी,
उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा की पत्नी जया लक्ष्मी शर्मा, कानून मंत्री
ब्रजेश पाठक की पत्नी नम्रता पाठक, डॉ. नीरज बोरा की पत्नी बिंदु बोरा, सपा
छोड़कर भाजपा में शामिल हुई डॉ. श्वेता सिंह के नामों की चर्चा भी हो रही
है।
गौरतलब है कि इस बार 16 नगर निगमों में से 6 सीटें महिला
महापौर के लिए अरक्षित हुई हैं, जिनमें लखनऊ के अलावा वाराणसी और गोरखपुर
की सीटें भी शामिल हैं।
आईएएनएस
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