लखनऊ। उम्मीद के मुताबिक समर्थन न मिलने और मुलायम सिंह यादव की सहमति न मिलने
के बाद समाजवादी पार्टी के विधायक और सपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह
यादव ने अखिलेश यादव के खिलाफ नया राजनीतिक समाजवादी सेक्यूलर मोर्चा को गठित करने
का फैसला कुछ समय के लिए टाल दिया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने लखनऊ में छह जुलाई को इसके गठन का
ऐलान किया था।
शिवपाल के इस फैसले से फिलहाल सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव खेमे को राहत जरूर मिली
है। समाजवादी सरकार के अंतिम दिनों में चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश के बीच शुरू
हुई तनातनी अभी जारी है। शिवपाल सिंह यादव ने कुछ समय पहले 6 जुलाई को लखनऊ में पुराने
समाजवादियों का सम्मेलन आयोजित कर समाजवादी सेक्यूलर मोर्चा को बनाने का ऐलान किया
था। तब उन्होंने कहा था कि इस मोर्चे को सपा संस्थापक व सांसद मुलायम सिंह यादव का
समर्थन है और वह इसके अध्यक्ष होंगे।
बहरहाल अब शिवपाल सिंह यादव ने नया मोर्चा
गठित करने से कदम पीछे खींच लिए है। इसका सबसे बड़ा कारण पुराने समाजवादियों का
एकजुट नहीं होना है। साथ ही उनके बड़े भाई मुलायम सिंह यादव भी इस मोर्चे को बनाने
में पक्ष में नहीं है। क्योंकि अभी तक मुलायम ने कभी नहीं कहा कि वह इस मोर्च को
अपना समर्थन दे रहे है।
गौरतलब है कि इस मोर्चे के गठन के ऐलान के बाद शिवपाल और
अखिलेश में जुबानी लड़ाई भी शुरू हो गयी थी और अखिलेश ने शिवपाल को आस्तीन का सांप
भी कह दिया था। फिलहाल समाजवादी पार्टी को मोर्चा नहीं बनने से राहत को मिली है
क्योंकि राज्य में भाजपा की सरकार आने के बाद सपा के कई नेताओं ने भाजपा की ओर रूख
कर लिया था और अगर यह मोर्चा बनता तो सपा के भीतर जो लोग अभी असहज महसूस कर रहे
है वह रूख कर सकते थे। शिवपाल इस मोर्चे का गठन कब करेंगे इसके लिए उन्होंने अभी
तक पत्ते नहीं खोले हैं। हालांकि उनके करीबी लोगों का कहना इसमें अभी वक्त लगेगा।
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