लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को तगड़ा झटका देते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) ने फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा सीटों पर हुए उप चुनाव में जीत दर्ज की। गोरखपुर सीट उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस्तीफा देने के बाद खाली हुई थी। गोरखपुर लोकसभा सीट से 29 साल के बाद गोरक्ष धाम मठ से बाहर का कोई व्यक्ति सांसद बना है। इससे पहले मंहत अवैद्यनाथ और फिर योगी आदित्यनाथ 1989 से 2017 तक गोरखपुर के सांसद रहे। लेकिन, अब समाजवादी पार्टी की जीत के साथ ही प्रवीण कुमार निषाद गोरखपुर के सांसद बन गए। प्रवीण मात्र 29 साल के हैं और गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी लखनऊ से 2011 में इंजिनियरिंग कर चुके हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
प्रवीण निषाद के पिता, डॉक्टर संजय कुमार निषाद राष्ट्रीय निषाद पार्टी के संस्थापक हैं। साल 2013 में उन्होंने इस पार्टी को खड़ा किया था। उस वक्त प्रवीण कुमार निषाद उस पार्टी के प्रवक्ता बनाए गए थे। साल 2008 में बी टेक करने के बाद 2009 से 2013 तक उन्होंने राजस्थान के भिवाड़ी में एक प्राइवेट कंपनी में बतौर प्रोडक्शन इंजीनियर नौकरी की थी। लेकिन 2013 में अपने पिता के राजनैतिक सपनों में रंग भरने के लिए वो वापस गोरखपुर लौट आए। सात जून 2015 को वो पहली बार तब सुर्खियों में आए, जब गोरखपुर से सटे सहजनवा के कसरावल गांव के पास निषादों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर उनके नेतृत्व में ट्रेन रोकी।
इसके बाद डॉक्टर संजय कुमार निषाद पर तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार ने कई मुकदमें दायर कराए थे। साल 2016 में संजय कुमार निषाद ने निषाद पार्टी का गठन किया। पिछले विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी ने पिछड़े मुसलमानों पर अच्छी पकड़ रखने वाली पीस पार्टी के साथ मिलकर प्रदेश की 80 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था। ख़ुद संजय कुमार निषाद ने भी गोरखपुर ग्रामीण सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन वो हार गए थे। उनकी पार्टी को ज्ञानपुर सीट से जीत हासिल हुई थी जहां से विजय मिश्रा चुनाव जीते थे। इसके बाद संजय निषाद ने पीस पार्टी के साथ तालमेल बरकऱार रखते हुए अपना सफऱ जारी रखा। जब गोरखपुर उप-चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हुई तो निषाद बहुल इस सीट पर उनकी सक्रियता को देखते हुए सपा ने निषाद पार्टी को विलय का प्रस्ताव दिया।
लेकिन संजय कुमार निषाद ने ऐसा करने से मना कर दिया था। इसके बाद समाजवादी पार्टी ने उनको तवज्जो देते हुए उनके बेटे प्रवीण कुमार निषाद को अपने प्रत्याशी के तौर पर इस चुनाव में उतारा। समाजवादी पार्टी द्वारा जातिगत समीकरण को ध्यान में रखते हुए निषाद समुदाय से आने वाले प्रवीण को टिकट मिला और बीएसपी ने कोई उम्मीदवार नहीं खड़ा किया। बाद में बीएसपी ने एसपी को समर्थन देने की घोषणा की। यही फैसला एसपी के लिए टॉनिक का काम कर गया।
गोरखपुर में सपा के उम्मीदवार प्रवीण कुमार निषाद ने भाजपा के उपेंद्र दत्त शुक्ला को 21,961 मतों से पराजित किया। यहां निषाद को 4,56,437 मत हासिल हुए। उनके निकततम प्रतिद्वंदी भाजपा के उपेंद्र दत्त शुक्ला को 4,34,476 मत मिले। कांग्रेस प्रत्याशी डॉक्टर सुरहीता करीम को 18,844 मत मिले। प्रवीण के द्वारा जमा किए गए एफिडेविट में दी गई जानकारी के मुताबिक, उनके पास कोई भी जमीन नहीं है। प्रवीण ने अपनी कुल संपत्ति लगभग 11 लाख रुपये बताई है, जिसमें उनके पास 99,000 की देनदारी भी बाकी है।
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