लखनऊ। ऐसी पीएचडी के बारे में आपने कभी नहीं सुना होगा जहां पेपर सेट करने से लेकर पेपर देने और कॉपी चेक करने का काम एक ही बंदे ने किया हो। नहीं, लेकिन लखनऊ में एक पीएचडी स्कॉलर ने खुद ही अपना प्रश्न-पत्र तैयार किया, परीक्षा में भी बैठा और खुद ही अपनी कॉपी भी चेक की। मामला सामने आने पर पीएचडी में उसका नामांकन रद्द कर दिया गया और संस्थान से भी निकाल दिया गया। इस छात्र का नाम देवेश ओझा है जिसने 2015 में एकेटीयू (डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी) के इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नॉलजी (आईईटी) में सिविल इंजिनियरिंग में पीएचडी में दाखिला लिया था। डेटाबेस में प्री-पीएचडी कोर्सेज के माक्र्स एंटर करते वक्त अथॉरिटीज को पता चला कि प्री-पीएचडी में जो विषय है, ओझा ने पहले वही विषय पढ़ाया है, उसके लिए प्रश्न-पत्र सेट किया है और परीक्षा में बैठने के बाद अपनी उत्तर पुस्तिका भी जांची है। यह पता चलते ही संस्थान की तीन-सदस्यीय समिति ने मामले की जांच की और दोषी पाए जाने पर ओझा का इनरोलमेंट रद्द करके उन्हें कॉलेज से निकाल दिया गया। संस्थान के निदेशक एएस विद्यार्थी ने बताया कि माक्र्स अपलोड करते वक्त उप परीक्षा नियंत्रक गिरीश चंद्रा को तब शक हुआ जब मूल्यांकनकर्ता, विषय शिक्षक और परीक्षक के नाम एक ही थे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
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