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फिर सजने लगीं मांस की दुकानें......

Meat Shops in uttar pradesh - Lucknow News in Hindi

लखनऊ । प्रदेश में मांसाहारियों के लिए राहत की बात है कि पिछले महीने अवैध बूचड़खानों पर ढाए गए कहर का असर आहिस्ता-आहिस्ता कम होता जा रहा है। प्रदेश में शहर से लेकर गांवों तक मांस की दुकानें फिर सजने लगी हैं। फर्क यह आया है कि मांस पहले से महंगा बिकने लगा है। मांस की दुकानों को स्थानीय पुलिस का संरक्षण प्राप्त है। हां, सुविधा शुल्क न देने पर पुलिस मांस विक्रेताओं को शांतिभंग की धारा 151 के तहत चालान जरूर कर देती है।
योगी आदित्यनाथ ने 19 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही अवैध बूचड़खानों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए थे। अधिकारी भी मुख्यमंत्री के पहले आदेश का अनुपालन कराने में पूरे तन्मयता से जुट गए। नतीजा यह हुआ कि अवैध और वैध, सभी तरह के बूचड़खाने बंद हो गए। मांस का व्यापार का पूरी तरह से ठप हो गया। इस करोबार से जुड़े प्रदेश के करीब दो करोड़ लोग हड़ताल पर चले गए थे।

यह सख्ती कुछ ही दिन दिखी। अब आहिस्ता-आहिस्ता मांस की दुकानें खुलने लगी हैं। हालत यह है कि गांव से लेकर शहरों तक बकरे, मुर्गे का मांस और मछलियां पहले की तरह बिकने लगी हैं। लोग बताते हैं कि बड़े जानवरों का मांस भी चोरी-छिपे बिकने लगा है। यह कारोबार पुलिस के संरक्षण में फिर से चल पड़ा है। पुलिसकर्मी इन दुकानों से सुविधा शुल्क वसूलते हैं और जो नहीं देता है, उसका चालान कर देते हैं।

सूत्रों के मुताबिक, मुर्गे का मांस बेचने वाले कई दुकानदारों पर कानून कोई सख्ती या पाबंदी नहीं है, लेकिन पुलिस के कहर से बचने के लिए अब उन्हें भी सुविधा शुल्क देना पड़ता है। खाकी जेब गर्म न करने वाले कई दुकानदारों का शांतिभंग की धारा 151 के तहत चलाना किया गया है। सीतापुर में कुछ दुकानदारों ने मुर्गा व्यापारी असलम जैदी के नेतृत्व में पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन भी किया।

राजधानी लखनऊ में मांस बेचने का लाइसेंस नगर निगम जारी करता है। पूर्व में जारी लाइसेंसों की वैधता 31 मार्च, 2017 को खत्म हो गई है। प्रदेश सरकार ने मांस बेचने का लाइसेंस बेचने को लेकर अब तक कोई नीति स्पष्ट नहीं की है, जिसके आधार पर पुराने लाइसेंसों का नवीनीकरण किया जा सके।

मांस विक्रेता सादिक आलम ने कहा, "निगम के दफ्तर का चक्कर लगाते-लगाते थक गए, लाइसेंस रिन्यू नहीं किया जा रहा है। लाइसेंस रिन्यू होने के इंतजार में हम कब तक धंधा बंद रखें, हम अपना परिवार कैसे चलाएं। हम तो फिर मांस बेचने लगे हैं, जो होगा देखा जाएगा।"

बूचड़खानों के खिलाफ योगी के `एक्शन` का असर इतना जरूर रहा कि मांस के दाम बढ़ गए। उदाहरण के लिए बकरे का मांस जो 400 रुपये प्रति किलो बिक रहा था, वह अब 550 में बिकता है। इसी तरह मुर्गे का मांस जो 150 रुपये प्रति किलो था, अब 200 के ऊपर पहुंच गया है। इसी तरह मछलियों के दामों में भी करीब 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी जा रही है।

--आईएएनएस

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Web Title-Meat Shops in uttar pradesh
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